
नई दिल्ली: भारत ने चिप विनिर्माण के क्षेत्र में अपनी उपस्थिति को मजबूत करने के लिए एक बड़ा कदम उठाया है। देश ने अपनी डिजाइन क्षमता का प्रदर्शन करते हुए वैश्विक सेमीकंडक्टर बाजार में अपना नाम रोशन किया है। भारत ने अपने चार चुनिंदा कंपनियों को 76,000 करोड़ रुपये का प्रोत्साहन देकर उन्हें चिप फैब्रिकेशन प्लांट और असेंबली और परीक्षण इकाइयां स्थापित करने के लिए प्रेरित किया है।
इससे भारत को अपने आत्मनिर्भरता का लक्ष्य हासिल करने में मदद मिलेगी। चिप इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के लिए आवश्यक कलपुर्जा हैं, जिनका इस्तेमाल वाहनों, कंप्यूटरों, मोबाइल फोनों और अन्य उद्योगों में होता है। भारत इन चिपों का निर्यात करके अपनी आर्थिक स्थिति को भी मजबूत कर सकता है।
भारत के इस कदम से वैश्विक सेमीकंडक्टर क्षेत्र में एक नया दौर शुरू होगा। भारत अब चीन, ताइवान और दक्षिण कोरिया जैसे देशों को चुनौती देने के लिए तैयार है। भारत एक लोकतांत्रिक और भरोसेमंद टेक हब के रूप में विश्व को अपनी पहचान बनाएगा।
आईटी और टेलीकॉम मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इस बारे में कहा है कि भारत अगले पांच साल में चिप विनिर्माण के क्षेत्र में एक ताकत बनकर उभरेगा। उन्होंने कहा कि भारत के पास डिजाइन क्षमता का एक-तिहाई हिस्सा है और वैश्विक कंपनियां भारत में निवेश करना चाहती हैं। उन्होंने कहा कि भारत ने बेहतर नीतियों को तैयार करके इस क्षेत्र में एक नया आकर्षण बनाया है।
भारत की चिप स्ट्रैटेजी को विश्व इकनॉमिक फोरम में भी सराहा गया है। वैष्विक नेताओं और उद्योगपतियों ने भारत को इस क्षेत्र में एक नया लीडर माना है। वे भारत के साथ सहयोग करने के लिए उत्सुक हैं।
भारत का चिप विकास देश के लिए एक गौरव का क्षण है। यह देश को आत्मनिर्भर बनाने के साथ-साथ विश्व में एक ताकत के रूप में स्थापित करेगा।