
नई दिल्ली: महान पर्व महाशिवरात्रि के आगमन के साथ ही धार्मिक और आध्यात्मिक उत्साह भी बढ़ जाता है। इस पवित्र दिन को भगवान शिव की आराधना, पूजन, व्रत, और ध्यान के साथ बिताने का महत्व है। यह दिन भगवान शिव के अद्वितीय गुणों की स्मृति और उनके शक्तिशाली रूप की महिमा को याद करने का अवसर है।
महाशिवरात्रि भारतीयों का एक प्रमुख त्यौहार है। यह भगवान शिव का प्रमुख पर्व है। माघ, फागुन, और फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को महाशिवरात्रि पर्व मनाया जाता है. इस दिन को सृष्टि का प्रारंभ भी माना जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस दिन सृष्टि का आरंभ अग्निलिंग (जो महादेव का विशालकाय स्वरूप है) के उदय से हुआ था। इसी दिन भगवान शिव का विवाह देवी पार्वती के साथ हुआ था। महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव और पत्नी पार्वती की पूजा होती है। यह पूजा व्रत रखने के दौरान की जाती है। साल में होने वाली 12 शिवरात्रियों में से महाशिवरात्रि को सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है. भारत सहित पूरी दुनिया में महाशिवरात्रि का पावन पर्व बहुत ही उत्साह के साथ मनाया जाता है. इस दिन शिवालयों में बेलपत्र, धतूरा, दूध, दही, और शर्करा से भगवान शिव का अभिषेक किया जाता है. यह एक ऐसा दिन है, जब प्रकृति मनुष्य को उसके आध्यात्मिक शिखर तक जाने में मदद करती है। इस दिन का उपयोग करके, हम एक उत्सव मनाते हैं, जो पूरी रात चलता है। इस उत्सव में ऊर्जाओं के प्राकृतिक प्रवाह को उमड़ने का पूरा अवसर मिलता है, जिसके लिए हम निरंतर जागते रहते हैं
महाशिवरात्रि के महत्वपूर्ण तथ्य:
- तिथि और मास: महाशिवरात्रि का आयोजन फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को किया जाता है।
- भगवान शिव के आविर्भाव: इस दिन कहा जाता है कि भगवान शिव ने अपने निराकार रूप से साकार रूप में प्रकट हुए थे।
- शिव-पार्वती के विवाह का दिन: इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह भी माना जाता है.
- अग्नि लिंग रूप: भगवान शिव का अग्नि लिंग रूप में प्रकट होने का वर्णन है।
- ग्रहों की शांति: महाशिवरात्रि पर अनिष्ट ग्रहों की शांति करने का महत्व है। ज्योतिष शास्त्र में भी इसका उल्लेख हैभगवान शिव की पूजा: इस दिन भगवान शिव की पूजा और आराधना की जाती है। भक्त शिवलिंग के दर्शन करते हैं और उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए व्रत रखते हैं।
- सृष्टि का आरम्भ: पौराणिक कथाओं के अनुसार, सृष्टि का आरम्भ इसी दिन हुआ था। इस दिन भगवान शिव ने सृष्टि को बचाने हेतु हलहाल विष को ग्रहण किया था।
- आध्यात्मिक महत्व: यह त्योहार आत्मिक जागरण, अंतर्मन की परिवर्तन, और भगवान शिव के प्रति भक्ति की याद दिलाता है।
- व्रत और पूजा: भक्त इस दिन व्रत रखते हैं और शिवलिंग की पूजा करते हैं।
- महाशिवरात्रि पूजन विधान
महाशिवरात्रि के पावन दिन को ध्यान में रखकर शिव-पूजन करने से अश्वमेघ यज्ञ के समान फल प्राप्त होता है। इस व्रत की पूर्णता के लिए ब्राह्मणों को वस्त्र सहित भोजन और दक्षिणा देने का अवसर मिलता है।शिवरात्रि व्रत का प्रारंभ संकल्पवूर्वक करें। इसमें सम्वत् नाम, मास, पक्ष, तिथि-नक्षत्र, अपने नाम, गोत्र, आदि का उच्चारण करें। शिवरात्रि में चार बार पूजन का विधान होता है, जिसमें चार प्रहरों में रुद्राभिषेक करना चाहिए। प्रथम प्रहर में दुग्ध द्वारा शिव के ईशान स्वरूप को, द्वितीय प्रहर में दधि द्वारा अघोर स्वरूप को, तृतीय प्रहर में घृत द्वारा वामदेव रूप को और चतुर्थ प्रहर में मधु द्वारा सद्योजात स्वरूप को अभिषेक करें। यदि आप चार बार पूजन और अभिषेक नहीं कर सकते, तो प्रथम प्रहर में कम से कम एक बार पूजन करें।
महाशिवरात्रि की रात्रि महासिद्धिदायिनी होती है, और इस समय में की गई उपासना विशेष फल प्रदान करती है। आपके शिव-पूजन से आपके जीवन में शुभ और कल्याणकारी घटनाएं हों।
इस महान दिन को ध्यान, भक्ति, और श्रद्धा के साथ मनाएं और भगवान शिव की कृपा प्राप्त करें। 🙏