
Dehradun: श्रीकृष्ण ने सुदामा को तीन लोक का स्वामी बना दिया था. सुदामा की संपत्ति देख यमराज अपना बहीखाता लेकर द्वारका पहुंचे और श्रीकृष्ण से कहा- क्षमा करें भगवन, लेकिन सत्य तो यह है कि यमपुरी में शायद अब मेरी कोई आवश्यकता नही रही. इसलिए में आपको पृथ्वीलोक के प्राणियों के कर्मों का बहीखाता सौंपने आया हूं. भगवान आपके क्षमा कर देने से अनेक पापी यमपुरी नहीं आते बल्कि सीधे आपके धाम चले जाते हैं. ऐसे में आपने सुदामा जी को तीनों लोक का स्वामी बना दिया. अब ऐसे में हम कहां जाएंगे. यमराज ने भगवान को ,अपना बहीखाता दिखाते हुए कहते हैं कि सुदामा जी के भाग्य में ‘श्रीक्षय’ है. लेकिन बहीखाता देख यमराज भी चकित रह जाते हैं. सुदामा के भाग्य वाले स्थान पर ‘श्रीक्षय’ की जगह ‘यक्षश्री’ लिखा होता है.
श्रीकृष्ण यमराज से कहते हैं, यमराज जी! शायद आप नहीं जानते कि सुदामा ने मुझे अपना सर्वस्व अपर्ण कर दिया था. मैंने सुदामा के केवल उसी का प्रतिफल उसे दिया है.यमराज कहते हैं, सुदामा जी ने ऐसी कौन सी संपत्ति आपको दे दी. उनके पास तो कुछ भी नही. भगवान बोले-सुदामा ने अपनी कुल पूंजी के रूप में मुझे प्रेम स्वरूप चावल अर्पण किये थे, जिसे मैंने और देवी लक्ष्मी ने बड़े प्रेम से खाए. जो मुझे प्रेम पूर्वक कुछ भी खिलाता है उसे सम्पूर्ण विश्व को भोजन कराने जितने पुण्यफल की प्राप्ति होती है. ठीक इसी तरह का प्रतिफल मैंने सुदामा को भी दिया है.