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देहरादून: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सोमवार को देहरादून में भाजपा के ओबीसी सम्मेलन और सिख-पंजाबी समुदाय के साथ बैठक में पार्टी की नगर निकाय चुनाव रणनीति का ऐलान किया। उन्होंने शहर के मेयर पद के लिए युवा प्रत्याशी सौरभ थपलियाल को “ईमानदारी और विकास का प्रतीक” बताते हुए 23 जनवरी के चुनाव में जनता से भारी समर्थन की अपील की। साथ ही, ओबीसी समाज के लिए 30 मेयर-अध्यक्ष पदों के आरक्षण को “सामाजिक न्याय का ऐतिहासिक कदम” करार दिया।
ओबीसी सम्मेलन: ‘कांग्रेस ने सिर्फ वोट बैंक समझा, हमने सम्मान दिया’
ब्रह्मपुरी स्थित छठ पार्क में आयोजित ओबीसी सम्मेलन को संबोधित करते हुए धामी ने कांग्रेस पर निशाना साधा। उन्होंने कहा, “कांग्रेस ने दशकों तक ओबीसी समाज को सिर्फ वोट बैंक समझा, लेकिन भाजपा ने उन्हें मुख्यधारा में लाने के लिए 30 सीटें आरक्षित कीं। यह साहसिक फैसला है।” उन्होंने आगे कहा कि कांग्रेस द्वारा दून की बस्तियों को उजाड़ने की अफवाह फैलाने की कोशिशों को भाजपा कभी सफल नहीं होने देगी। “हम उजाड़ने नहीं, बसाने में विश्वास रखते हैं,” उन्होंने जोर दिया।
सिख-पंजाबी समुदाय से अपील: ‘ट्रिपल इंजन सरकार के साथ जुड़ें’
राजपुर रोड स्थित सनराइज होटल में सिख और पंजाबी नेताओं के साथ बैठक में धामी ने मेयर प्रत्याशी सौरभ थपलियाल को समर्थन देने की गुजारिश की। उन्होंने कहा, “मेयर के रूप में सौरभ के नेतृत्व में देहरादून केंद्र, राज्य और नगर निगम की ‘ट्रिपल इंजन सरकार’ का लाभ उठाएगा। इससे विकास की गति तेज होगी।” उन्होंने कांग्रेस पर आरोप लगाया कि वह “विकास की रफ्तार को जानबूझकर धीमा करने वाली पार्टी” है।
क्यों खास है यह चुनाव?
- ओबीसी आरक्षण: नगर निकाय चुनाव में पहली बार 30 सीटें ओबीसी के लिए आरक्षित करना भाजपा की सामाजिक इंजीनियरिंग का हिस्सा है।
- युवा चेहरा: 32 वर्षीय सौरभ थपलियाल को टिकट देकर पार्टी ने युवाओं और शहरी मध्यवर्ग को लुभाने की कोशिश की है।
- सिख-पंजाबी वोटर्स: देहरादून में सिख और पंजाबी समुदाय की 8% आबादी चुनावी समीकरण में अहम भूमिका निभाती है।
समर्थन का गणित
- ओबीसी सम्मेलन में रेशम फेडरेशन के अध्यक्ष चौधरी अजीत सिंह, भाजपा महिला मोर्चा की राष्ट्रीय महामंत्री दीप्ति रावत, और अशोक वर्मा समेत कई नेताओं ने धामी का साथ दिया।
- सिख-पंजाबी बैठक में कैंट विधायक सविता कपूर, मंत्री गणेश जोशी, और प्रदीप कुमार जैसे नेता मौजूद रहे।
कांग्रेस पर प्रहार
धामी ने कहा कि कांग्रेस ने ओबीसी समाज की चिंताओं को कभी गंभीरता से नहीं लिया, जबकि भाजपा ने उन्हें “मुख्यधारा का हिस्सा” बनाने के लिए ठोस कदम उठाए। उन्होंने दोहराया कि भाजपा सरकार “गरीब, पिछड़े और वंचितों के हितों की रक्षक” है।
अगला पड़ाव: 23 जनवरी को मतदान के बाद देहरादून समेत प्रदेश के नगर निकायों में भाजपा की ‘विकास vs विरोध’ की रणनीति की परीक्षा होगी।