
बीजिंग: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की अहम बैठक पर चीन ने संयमित प्रतिक्रिया दी है। शुक्रवार को चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गुओ जियाकुन ने कहा कि भारत-अमेरिका सहयोग में चीन को मुद्दा नहीं बनाया जाना चाहिए और किसी तीसरे देश के हितों को नुकसान नहीं होना चाहिए।
गुओ ने यह भी स्पष्ट किया कि एशिया-प्रशांत क्षेत्र को जियो-पॉलिटिक्स की प्रतिस्पर्धा का केंद्र नहीं बनाया जाना चाहिए, बल्कि इसे शांतिपूर्ण विकास के मार्ग पर आगे बढ़ना चाहिए।
भारत-अमेरिका रक्षा सहयोग और हिंद-प्रशांत क्षेत्र
पीएम मोदी और ट्रंप के बीच हुई वार्ता में रक्षा सहयोग को और मजबूत करने पर चर्चा हुई। दोनों नेताओं ने इस बात पर सहमति जताई कि भारत-अमेरिका रणनीतिक साझेदारी एक स्वतंत्र, खुले और समृद्ध हिंद-प्रशांत क्षेत्र के लिए महत्वपूर्ण है।
चीनी प्रवक्ता गुओ ने इस संदर्भ में कहा कि किसी भी देश को अपने संबंधों में चीन को केंद्रित नहीं करना चाहिए और इस सहयोग से क्षेत्रीय शांति और स्थिरता को बढ़ावा मिलना चाहिए।
‘गुटीय टकराव से स्थिरता नहीं आएगी’ – चीन
चीन ने गुटीय राजनीति और सैन्य गठबंधन को लेकर चिंता जताई। गुओ जियाकुन ने कहा कि किसी विशेष समूह का निर्माण और टकराव की राजनीति क्षेत्रीय शांति के लिए अनुकूल नहीं होगी।
पीएम मोदी और ट्रंप की बैठक के बाद जारी संयुक्त बयान में कहा गया कि दोनों देश भारत-अमेरिका रक्षा सहयोग को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। इस बैठक के नतीजों पर चीन की खास नजर रही, खासतौर पर रक्षा क्षेत्र में होने वाले संभावित समझौतों को लेकर।
क्वाड साझेदारी को लेकर चीन की चिंता
बैठक के दौरान भारत और अमेरिका ने क्वाड (QUAD) साझेदारी को मजबूत करने पर भी चर्चा की। गौरतलब है कि क्वाड में भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया शामिल हैं। चीन लंबे समय से इस गठबंधन को लेकर चिंतित रहा है और इसे अपने प्रभाव को कम करने की रणनीति मानता है।
ट्रंप के अमेरिकी राष्ट्रपति के रूप में दूसरे कार्यकाल की शुरुआत के कुछ हफ्ते बाद ही यह बैठक हुई, जिससे चीन की रणनीतिक प्रतिक्रिया पर खास असर पड़ा।