
बैंकॉक: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने थाईलैंड की राजधानी बैंकॉक में आयोजित छठे BIMSTEC शिखर सम्मेलन में भाग लेने के बाद अब श्रीलंका के लिए प्रस्थान कर लिया है। बैंकॉक में पीएम मोदी का भव्य स्वागत हुआ और इस दौरान भारत और थाईलैंड के बीच कई अहम समझौते किए गए।
सम्मेलन के इतर प्रधानमंत्री मोदी की बांग्लादेश के कार्यवाहक राष्ट्रपति मोहम्मद यूनुस से द्विपक्षीय बैठक भी हुई, जिसमें उन्होंने भारत-बांग्लादेश संबंधों को लेकर अनावश्यक बयानों से बचने की सलाह दी, जो दोनों देशों के संबंधों में तनाव उत्पन्न कर सकते हैं।
अब श्रीलंका में पीएम मोदी राष्ट्रपति अनुरा कुमारा दिसानायके से मुलाकात करेंगे। दोनों नेताओं के बीच द्विपक्षीय वार्ता के साथ-साथ श्रीलंका के ऋण पुनर्गठन और रक्षा सहयोग से जुड़े कई अहम समझौतों पर चर्चा होने की संभावना है।
विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने पहले ही संकेत दिया था कि भारत और श्रीलंका के बीच रक्षा सहयोग पर एक महत्वपूर्ण एमओयू पर हस्ताक्षर हो सकते हैं, जो दोनों देशों के रक्षा संबंधों में ऐतिहासिक मोड़ साबित हो सकता है। यह समझौता लगभग 35 साल पहले भारतीय शांति सेना (IPKF) की वापसी से जुड़े कटु अध्याय को पीछे छोड़ सकता है।
हिंद महासागर में चीन की बढ़ती सक्रियता के बीच बढ़ेगा सहयोग
चीन की बढ़ती मौजूदगी, विशेषकर हंबनटोटा बंदरगाह पर चीनी जहाजों की हालिया गतिविधियों के मद्देनज़र भारत-श्रीलंका रक्षा सहयोग को और मजबूती देने की जरूरत महसूस की जा रही है। अगस्त 2022 में ‘युआन वांग’ नामक चीनी ट्रैकिंग जहाज और अगस्त 2023 में एक अन्य चीनी युद्धपोत की श्रीलंकाई बंदरगाहों पर उपस्थिति से दोनों देशों के बीच कूटनीतिक तनाव उत्पन्न हुआ था।
विदेश सचिव मिस्री ने कहा कि श्रीलंका भारत की “पड़ोसी पहले” नीति का एक अभिन्न हिस्सा है। प्रधानमंत्री मोदी की इस यात्रा का मुख्य उद्देश्य निवेश, संपर्क और आपसी सहयोग को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाना है।