
एक बार की बात है। बादशाह अकबर अपने भरे पूरे दरबार में गूंजती आवाज़ में तीन सवाल पूछते हैं,
पहला सवाल: ऐसी कौन-सी चीज़ है जो आज भी है और कल भी रहेगी?
दूसरा सवाल: ऐसी कौन-सी चीज़ है जो आज है, लेकिन कल नहीं रहेगी?
तीसरा सवाल: ऐसी कौन-सी चीज़ है जो आज नहीं है, लेकिन कल जरूर होगी?
दरबार में सन्नाटा छा गया। मंत्रीगण, पंडित, विद्वान, सबने अपने-अपने उत्तर दिए, परंतु बादशाह अकबर किसी के भी उत्तर से संतुष्ट नहीं हुए।
अब बारी आई बीरबल की।
बीरबल ने विनम्रता से कहा,
“जहाँपनाह! आपके इन प्रश्नों के उत्तर मैं शब्दों में नहीं दूँगा, बल्कि आपको जीवन की राह पर चलकर दिखाऊँगा। इसके लिए आपको मेरे साथ राज्य भ्रमण पर चलना होगा।”
अकबर बीरबल की बात मानते हैं और दोनों साधारण भेष में नगर भ्रमण को निकल पड़ते हैं।
कुछ देर बाद वे एक मिठाई की दुकान पर पहुँचते हैं।
बीरबल दुकानदार से कहता है, “भाई, हम एक अनाथ आश्रम के लिए दान माँग रहे हैं, जो असहाय बच्चों के लिए बनेगा।”
बिना किसी हिचकिचाहट के दुकानदार अपनी कमाई में से कुछ धन दान में दे देता है।
बीरबल मुस्कुराते हुए अकबर की ओर देखते हैं—
“जहाँपनाह, यही है आपके पहले सवाल का उत्तर। यह नेकी की भावना, यह दान देने की प्रवृत्ति — यह आज भी है और कल भी रहेगी। वक्त बदल सकता है, पर सच्चे दिल का भोलापन और भलाई की भावना नहीं।”
आगे बढ़ते हुए वे एक रास्ते में बैठे भिखारी के पास पहुँचते हैं, जो एक सूखी रोटी के टुकड़े में अपनी भूख मिटा रहा था।
बीरबल उससे रोटी का एक टुकड़ा माँगते हैं।
भिखारी झल्लाकर मना कर देता है, “जा! मेरे पास खुद के लिए ही नहीं है!”
बीरबल अकबर की ओर देखकर कहते हैं—
“जहाँपनाह, यह है आपके दूसरे सवाल का उत्तर। यह गरीबी, यह संकीर्णता—आज है, लेकिन कल नहीं रहेगी। हालात बदलते हैं, वक्त बदलता है। जब इसके पास कल संसाधन होंगे, तो यह भी दान देगा। आज की तंगी, कल की बात नहीं होगी।”
कुछ दूर चलने के बाद वे एक पीपल के पेड़ के नीचे ध्यान में लीन एक साधु को देखते हैं।
बीरबल साधु को कुछ पैसे देने के लिए हाथ बढ़ाते हैं।
साधु आँखें खोलते हैं, मुस्कुराते हैं, और विनम्रता से धन लेने से मना कर देते हैं।
बीरबल अकबर से कहते हैं—
“महाराज! यह है आपके तीसरे सवाल का उत्तर। यह भक्ति, यह आध्यात्मिक जागरूकता—आज बहुतों में नहीं है, लेकिन कल यह समाज में और अधिक फैलेगी। लोग जब मोह-माया से थक जाएंगे, तब प्रभु की ओर लौटेंगे। यही वह भावना है जो आज नहीं, लेकिन कल अवश्य होगी।”
अकबर गहराई से सोचते हैं, और बीरबल की सूझबूझ व जीवन के वास्तविक दृष्टिकोण से अत्यंत प्रभावित होते हैं।