Ganga Dussehra 2025:गंगा दशहरा सनातन धर्म का एक बहुत ही खास पर्व हैं. यह वहीं दिन जब मां गंगा धरती पर अवतरित हुई थी. पौराणिक कथाओं के अनुसार, राजा भगीरथ के 60000 पूर्वजों को मोक्ष देने के लिए उनकी कठोर तपस्या से प्रसन्न होकर इसी दिन मां गंगा का धरती पर आगमन हुआ था. मां गंगा का धरती पर आगमन ज्येष्ठ मास शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को हुआ था.इस बार गंगा दशहरे पर हस्त नक्षत्र, सिद्धि योग और व्यतिपात योग में होगा मां गंगा का पूजन

देहरादून: गंगा दशहरा सनातन धर्म का एक बहुत ही खास पर्व हैं. यह वहीं दिन जब मां गंगा धरती पर अवतरित हुई थी. पौराणिक कथाओं के अनुसार, राजा भगीरथ के 60000 पूर्वजों को मोक्ष देने के लिए उनकी कठोर तपस्या से प्रसन्न होकर इसी दिन मां गंगा का धरती पर आगमन हुआ था. मां गंगा का धरती पर आगमन ज्येष्ठ मास शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को हुआ था. इस दिन सभी गंगा घाटों पर भक्तों की भारी भीड़ लगती है और लोग आस्था की डुबकी लगाते हैं. इसके अलावा गंगा दशहरे के दिन लोग धार्मिक अनुष्ठान, पूजा पाठ, हवन स्नान दान आदि करते हैं.
भारतीय संस्कृति की पोषक और पवित्रता की प्रतीक मां गंगा का अवतरण दिवस गंगा दशहरा इस वर्ष 5 जून को मनाया जाएगा। खास बात यह है कि इस बार गंगा दशहरे पर हस्त नक्षत्र, सिद्धि योग और व्यतिपात योग का दुर्लभ संयोग बन रहा है, जो कई दशकों बाद देखने को मिल रहा है।
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, इन दिव्य योगों में गंगा स्नान, दान, तप और जप का पुण्य कई गुना बढ़ जाता है। इस दिन तन-मन को शुद्ध करने का पर्व मनाने के साथ ही देवी गंगा की पूजा करने से जीवन के सभी पापों का नाश होता है।
गंगा दशहरा कब है?
वैदिक पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि की शुरुआत 4 जून को देर रात 11 बजकर 54 मिनट पर होगी और तिथि का समापन 6 जून को रात 2 बजकर 15 मिनट पर होगा. उदया तिथि के अनुसार, इस बार गंगा दशहरा का पर्व 5 जून को मनाया जाएगा.
गंगा के अवतरण का महत्व:
मान्यता है कि स्वर्ग लोक से देवी गंगा ज्येष्ठ मास, शुक्ल पक्ष, बुधवार दशमी तिथि, हस्त नक्षत्र और व्यतिपात योग की साक्षी में पृथ्वी पर अवतरित हुई थीं। राजा भगीरथ अपने पूर्वजों को मोक्ष दिलाने के लिए मां गंगा को धरती पर लाए थे। युगों-युगों से मां गंगा प्राणी मात्र को जीवनदान के साथ ही मुक्ति भी प्रदान करती आ रही हैं।
इस वर्ष का दुर्लभ संयोग:
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, इस बार गंगा दशहरे पर 5 जून को वही दिव्य महायोग बन रहे हैं, जिनमें देवी गंगा पृथ्वी पर अवतरित हुई थीं। हस्त नक्षत्र, सिद्धि योग और व्यतिपात योग का यह दुर्लभ संयोग गंगा दशहरा पर्व पर गंगा में स्नान, दान और तप करने से कई गुना फल की प्राप्ति कराता है। इस दिन स्नान, दान, जप, तप, व्रत और उपवास का विशेष महत्व है, क्योंकि यह तन-मन को शुद्ध करने का पर्व है। ज्योतिषाचार्य उदय शंकर भट्ट का कहना है कि विशिष्ट योग की साक्षी में मां गंगा का पूजन विशेष फलदायी होगा।
क्या करें गंगा दशहरा पर
- प्रातःकाल गंगा या किसी पवित्र नदी में स्नान करें।
- स्नान के बाद सूर्य को अर्घ्य दें और मां गंगा की आरती करें।
- मिट्टी के दीपक में शुद्ध घी का दीप जलाकर गंगा में अर्पित करें।
- यथाशक्ति दान करें – जैसे वस्त्र, अन्न, जलपात्र आदि।
- इस दिन व्रत, उपवास और जप-तप करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है।
क्या न करें गंगा दशहरा पर
- गंगा स्नान करते समय शरीर का मैल गंगा में न धोएं।
- कपड़े या बर्तन गंगा में नहीं धोने चाहिए।
- प्लास्टिक और अन्य अपशिष्ट गंगा में न फेंके।
- गंगा को अशुद्ध करने वाले किसी भी कर्म से बचें।
गंगा: केवल एक नदी नहीं, संस्कृति की रीढ़
कल्याण करने वाली माता के रूप में मां गंगा भारतीय संस्कृति की रीढ़ मानी जाती हैं। इस विशेष संयोग में गंगा दशहरा पर किया गया कोई भी पुण्य कार्य अत्यंत फलदायी होता है।