
देहरादून। उत्तराखंड सरकार ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए राज्य की अधिसूचित नदियों के बाढ़ मैदान परिक्षेत्र में कुछ आवश्यक निर्माण कार्यों की अनुमति दे दी है। अब इन क्षेत्रों में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी), रोपवे टावर, मोबाइल टावर, हाईटेंशन बिजली लाइन के टावर और एलिवेटेड रोड कॉरिडोर की नींव का निर्माण किया जा सकेगा।
यह फैसला मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में लिया गया। सिंचाई विभाग ने इन पांच कार्यों को बाढ़ मैदान परिक्षेत्र के अंतर्गत अनुमन्य गतिविधियों की सूची में शामिल करने का प्रस्ताव रखा था, जिसे कैबिनेट ने मंजूरी दे दी।
इस कदम की आवश्यकता इसलिए महसूस की जा रही थी क्योंकि नदियों के अधिसूचित बाढ़ मैदानों में स्थायी निर्माण पर रोक के चलते कई महत्वपूर्ण परियोजनाएं बाधित हो रही थीं।
आसन नदी का बाढ़ मैदान परिक्षेत्र भी अधिसूचित
कैबिनेट ने देहरादून स्थित आसन नदी के 53 किलोमीटर लंबे बाढ़ मैदान परिक्षेत्र की अंतिम अधिसूचना जारी करने के प्रस्ताव को भी मंजूरी दे दी है। इस अधिसूचना के बाद राज्य में अधिसूचित बाढ़ मैदान वाली नदियों की संख्या 16 हो जाएगी और इनकी कुल लंबाई 744 किलोमीटर तक पहुंच जाएगी।
आसन नदी के इस परिक्षेत्र में देहरादून सदर तहसील के 26 और विकासनगर तहसील के 37 गांव शामिल हैं। बाढ़ के खतरे के आकलन के आधार पर लगभग 1078 हेक्टेयर को अधिक खतरे वाला और 589 हेक्टेयर को कम खतरे वाला क्षेत्र निर्धारित किया गया है। इन दोनों ही क्षेत्रों में कृषि भूमि का बड़ा हिस्सा है।
क्या होता नदी का बाढ़ मैदान परिक्षेत्र?
नदी का बाढ़ मैदान परिक्षेत्र वह क्षेत्र होता है, जहां बाढ़ आने पर नदी का पानी दोनों तटों के किनारों तक फैल सकता है। इसे निर्धारित करने के लिए पिछले 25 और 100 वर्षों के अधिकतम बाढ़ प्रवाह का अध्ययन किया जाता है। इन क्षेत्रों में ऐसे किसी भी स्थायी निर्माण की अनुमति नहीं होती, जिससे नदी के प्राकृतिक प्रवाह में बाधा उत्पन्न हो। हालांकि, अत्यंत आवश्यक होने पर सरकार से विशेष अनुमति लेकर निर्माण कार्य किए जा सकते हैं।
राज्य में पहले से ही गंगा, यमुना, भागीरथी, अलकनंदा और काली समेत 15 प्रमुख नदियों के 691 किलोमीटर लंबे बाढ़ मैदान परिक्षेत्र अधिसूचित किए जा चुके हैं।