
देहरादून: उत्तराखंड की विश्व प्रसिद्ध चारधाम यात्रा अपने समापन की ओर अग्रसर है। इस वर्ष यात्रा का औपचारिक समापन 25 नवंबर को बदरीनाथ धाम के कपाट बंद होने के साथ होगा। विजयादशमी के पावन पर्व पर पंचांग गणना के बाद चारों धामों के कपाट शीतकाल के लिए बंद करने की तिथियों की घोषणा कर दी गई है।
सर्दियों में भारी बर्फबारी और भीषण ठंड के कारण हर साल अक्टूबर-नवंबर में चारधामों के कपाट श्रद्धालुओं के लिए बंद कर दिए जाते हैं, जो अगले वर्ष अप्रैल-मई में फिर से खोले जाते हैं।
जानें किस धाम के कपाट कब होंगे बंद:
- गंगोत्री धाम: मां गंगा को समर्पित गंगोत्री धाम के कपाट अन्नकूट पर्व के अवसर पर 22 अक्टूबर को सुबह 11 बजकर 36 मिनट पर शीतकाल के लिए बंद कर दिए जाएंगे।
- यमुनोत्री धाम: मां यमुना के धाम यमुनोत्री के कपाट भैया दूज के दिन 23 अक्टूबर को दोपहर 12 बजकर 30 मिनट पर बंद होंगे।
- केदारनाथ धाम: द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से एक, बाबा केदारनाथ के कपाट भी 23 अक्टूबर को भैया दूज के अवसर पर विधि-विधान से बंद किए जाएंगे।केदारनाथ धाम के कपाट 23 अक्टूबर की सुबह 8:30 बजे पूरे विधि विधान और पूजा पाठ के साथ बंद होंगे।
- बदरीनाथ धाम: भगवान विष्णु को समर्पित भू-बैकुंठ बदरीनाथ धाम के कपाट 25 नवंबर को दोपहर 2 बजकर 56 मिनट पर शीतकाल के लिए बंद कर दिए जाएंगे। इसी के साथ चारधाम यात्रा 2025 का समापन हो जाएगा।
अन्य प्रमुख मंदिरों के कपाट भी होंगे बंद:
चारों धामों के साथ ही द्वितीय केदार मद्महेश्वर जी के कपाट 18 नवंबर को और तृतीय केदार तुंगनाथ जी के कपाट 6 नवंबर को शीतकाल के लिए बंद होंगे।
शीतकालीन प्रवास स्थलों पर होंगे दर्शन:
कपाट बंद होने के बाद श्रद्धालु अपने आराध्यों के दर्शन उनके शीतकालीन प्रवास स्थलों पर कर सकेंगे। बाबा केदार के दर्शन रुद्रप्रयाग के ऊखीमठ में, बदरी विशाल के दर्शन चमोली के पांडुकेश्वर और जोशीमठ में होंगे।वहीं, मां गंगा के दर्शन उनके शीतकालीन प्रवास मुखबा गांव और मां यमुना के दर्शन खरसाली गांव में किए जा सकेंगे।
चारधाम यात्रा के समापन की तिथियों की घोषणा के बाद, प्रशासन और मंदिर समितियों ने यात्रा के अंतिम चरण की तैयारियों को तेज कर दिया है, ताकि कपाट बंद होने से पहले आने वाले श्रद्धालु सुगमता से दर्शन कर सकें।