
हरिद्वार: हर साल की तरह इस बार भी दशहरे के बाद हरिद्वार में गंगा की धारा को आंशिक रूप से रोक दिया गया है.उत्तरी गंगनहर की वार्षिक मरम्मत और सफाई के लिए यह कदम उठाया गया है. इसके चलते हर की पौड़ी के घाट लगभग सूख गए हैं, जिससे यहां स्नान और अन्य धार्मिक अनुष्ठानों के लिए पहुंचे श्रद्धालुओं को निराशा का सामना करना पड़ रहा है.हालांकि, यह स्थिति कुछ लोगों के लिए रोजी-रोटी का अवसर भी बन गई है, जो गंगा की रेत में सिक्के और कीमती धातुएं तलाशने में जुट गए हैं.
सिंचाई विभाग के अनुसार, गंगनहर की वार्षिक बंदी के तहत 2 अक्टूबर की रात से 19 अक्टूबर की रात तक नहर में पानी का प्रवाह बंद रहेगा. इस दौरान घाटों की मरम्मत, सीवेज व्यवस्था और अन्य जरूरी कार्य किए जाएंगे.अधिकारियों का कहना है कि शाम को गंगा आरती के समय आंशिक रूप से जलधारा छोड़ी जा रही है, लेकिन वह स्नान के लिए पर्याप्त नहीं है.
श्रद्धालुओं में निराशा, स्थानीय व्यापारियों पर भी असर
दशहरे के मौके पर गंगा स्नान, पिंडदान और अस्थि विसर्जन जैसे धार्मिक अनुष्ठानों के लिए दूर-दूर से हरिद्वार पहुंचे श्रद्धालुओं को घाटों पर पानी न होने से काफी परेशानी हो रही है. कई श्रद्धालुओं ने इस पर नाराजगी जताते हुए कहा कि प्रशासन को इसकी पूर्व सूचना देनी चाहिए थी.पानी की कमी का असर स्थानीय दुकानदारों और पूजा सामग्री विक्रेताओं के कारोबार पर भी पड़ रहा है.
सूखी गंगा में ‘खजाने’ की खोज
वहीं, गंगा की धारा रुकते ही कई श्रमिक परिवारों और स्थानीय लोग सूखी नदी में उतरकर सिक्के, सोना-चांदी और अन्य कीमती सामानों की तलाश में जुट गए हैं. ये लोग छलनी और जाल लेकर गंगा की रेत को छानते नजर आए.उनका कहना है कि श्रद्धालुओं द्वारा चढ़ाए गए सिक्के और जेवर ढूंढना उनकी आजीविका का एक जरिया है.कुछ लोगों ने बताया कि कभी-कभी उन्हें चांदी और सोने के आभूषण भी मिल जाते हैं.यह सिलसिला अगले 15 दिनों तक जारी रहने की उम्मीद है, जब तक कि नहर में पानी का प्रवाह फिर से शुरू नहीं हो जाता.