
नई दिल्ली: हर साल आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को मनाई जाने वाली शरद पूर्णिमा इस वर्ष 2025 में 6 अक्टूबर, सोमवार को मनाई जाएगी।इस दिन को लेकर लोगों में संशय है कि यह 6 या 7 अक्टूबर को है, लेकिन ज्योतिषियों के अनुसार, उदया तिथि और चंद्रोदय व्यापिनी पूर्णिमा के आधार पर 6 अक्टूबर को ही यह पर्व मनाना शास्त्रसम्मत है।
शरद पूर्णिमा को ‘कोजागरी पूर्णिमा’ और ‘रास पूर्णिमा’ के नाम से भी जाना जाता है।ऐसी मान्यता है कि इस दिन चंद्रमा अपनी 16 कलाओं से परिपूर्ण होता है और उसकी किरणों से अमृत की वर्षा होती है। इसी अमृत तत्व को पाने के लिए लोग रात में खुले आसमान के नीचे खीर बनाकर रखते हैं।
शरद पूर्णिमा 2025 की सही तिथि और मुहूर्त
- पूर्णिमा तिथि का आरंभ: 6 अक्टूबर 2025, सोमवार को दोपहर 12 बजकर 23 मिनट से।
- पूर्णिमा तिथि का समापन: 7 अक्टूबर 2025, मंगलवार को सुबह 09 बजकर 16 मिनट पर।
- शरद पूर्णिमा की तिथि: 6 अक्टूबर 2025, सोमवार।
चंद्रोदय का समय
शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा का उदय शाम 05 बजकर 27 मिनट पर होगा।हालांकि, अलग-अलग शहरों में चंद्रोदय के समय में थोड़ा अंतर हो सकता है।
पूजा के शुभ मुहूर्त
- कोजागर पूजा का मुहूर्त: 6 अक्टूबर की रात्रि 11:45 बजे से लेकर 7 अक्टूबर की मध्यरात्रि 12:34 बजे तक रहेगा।
- लाभ-उन्नति मुहूर्त: 6 अक्टूबर को रात 10 बजकर 37 मिनट से लेकर देर रात 12 बजकर 09 मिनट तक।इस मुहूर्त में चंद्रमा की रोशनी में खीर रखना अत्यंत उत्तम माना जाता है।
- अमृत-सर्वोत्तम मुहूर्त: दोपहर 12 बजकर 09 मिनट से 01 बजकर 37 मिनट तक।
शरद पूर्णिमा का महत्व
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, शरद पूर्णिमा की रात को मां लक्ष्मी पृथ्वी पर भ्रमण करती हैं और अपने भक्तों पर कृपा बरसाती हैं। इसलिए इस दिन मां लक्ष्मी की पूजा-अर्चना का विशेष महत्व है। माना जाता है कि इस दिन देवी लक्ष्मी की उपासना करने से घर में धन-धान्य की कोई कमी नहीं रहती।
ज्योतिष शास्त्र में चंद्रमा को मन का कारक माना गया है। इस दिन चंद्रमा अपनी पूर्ण कलाओं में होता है, इसलिए उसकी पूजा करने और अर्घ्य देने से मानसिक शांति मिलती है तथा कुंडली में चंद्र दोष से मुक्ति मिलती है। इस बार शरद पूर्णिमा का सोमवार के दिन पड़ना एक विशेष संयोग है, क्योंकि सोमवार का दिन चंद्र देव को ही समर्पित है, जिससे इस दिन व्रत रखने वालों को विशेष कृपा प्राप्त होगी।