
नई दिल्ली: हर साल आश्विन माह की पूर्णिमा तिथि पर मनाया जाने वाला शरद पूर्णिमा का त्योहार इस वर्ष बेहद खास रहने वाला है। हिंदू पंचांग और ज्योतिषविदों के अनुसार, इस बार शरद पूर्णिमा पर ग्रहों और नक्षत्रों का ऐसा दुर्लभ संयोग बन रहा है, जो कई सालों बाद देखा जा रहा है। मान्यता है कि इस शुभ अवसर पर चांद की रोशनी में रखी खीर अमृत तुल्य हो जाएगी, जिसे ग्रहण करने से न केवल स्वास्थ्य लाभ मिलेगा, बल्कि भाग्योदय भी होगा।
अमृत बरसाता है सोलह कलाओं वाला चंद्रमा
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, शरद पूर्णिमा ही वह एकमात्र रात है जब चंद्रमा अपनी सभी 16 कलाओं से परिपूर्ण (दक्ष) होता है। कहा जाता है कि इस रात चंद्रमा की किरणों से धरती पर अमृत की वर्षा होती है। इसी अमृत को प्राप्त करने के लिए लोग रात भर खुले आसमान के नीचे चांद की रोशनी में खीर रखते हैं। रात भर चांदनी के संपर्क में रहने से यह खीर औषधीय गुणों से भर जाती है और अमृत के समान मानी जाती है।
रोगों से मुक्ति और भाग्योदय की मान्यता
परंपरा के अनुसार, रात भर रखी गई इस खीर को अगले दिन सुबह प्रसाद के रूप में ग्रहण किया जाता है। कहते हैं कि शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा की रोशनी में रखी खीर खाने से इंसान को दीर्घायु प्राप्त होती है और शरीर को कई प्रकार के रोगों व बीमारियों से मुक्ति मिलती है। इसके अलावा, यह भी मान्यता है कि इसके सेवन से व्यक्ति का भाग्योदय होता है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
इस वर्ष क्यों खास है शरद पूर्णिमा?
इस वर्ष शरद पूर्णिमा पर लाभ-उन्नति मुहूर्त के साथ वृद्धि योग और भाद्रपद नक्षत्र का भी शुभ संयोग बन रहा है।ज्योतिष में इन योगों को धन, समृद्धि और कार्यों में सफलता के लिए बेहद शुभ माना जाता है। ऐसा दुर्लभ संयोग कई वर्षों के बाद बन रहा है, जो इस शरद पूर्णिमा के महत्व को और भी बढ़ा देता है।हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल शरद पूर्णिमा पर कई अत्यंत शुभ योगों का निर्माण हो रहा है, जो इसे पिछले कई वर्षों के मुकाबले अधिक प्रभावशाली बना रहे हैं:
- लाभ-उन्नति मुहूर्त: इस बार शरद पूर्णिमा के दिन चौघड़िया मुहूर्त के अंतर्गत ‘लाभ’ और ‘उन्नति’ के विशेष मुहूर्त रहेंगे, जो किसी भी कार्य की शुरुआत या धार्मिक अनुष्ठान के लिए श्रेष्ठ माने जाते हैं।
- वृद्धि योग: इस दिन ‘वृद्धि योग’ भी बन रहा है, जो किए गए कार्यों और पुण्यों में बढ़ोतरी करने वाला माना जाता है।
- भाद्रपद नक्षत्र: इसके अलावा, भाद्रपद नक्षत्र का शुभ संयोग भी इस दिन को और विशेष बना रहा है।
ज्योतिषविदों का मानना है कि शरद पूर्णिमा पर इन सभी शुभ योगों का एक साथ आना एक दुर्लभ संयोग है, जो सालों बाद बन रहा है। ऐसे में इस बार शरद पूर्णिमा पर की गई पूजा और खीर का सेवन भक्तों के लिए विशेष फलदायी साबित हो सकता है।
शरद पूर्णिमा की तिथि और शुभ मुहूर्त
- पूर्णिमा तिथि का आरंभ: 6 अक्टूबर 2025, सोमवार, दोपहर 12:23 बजे से।
- पूर्णिमा तिथि का समापन: 7 अक्टूबर 2025, मंगलवार, सुबह 09:16 बजे तक।
- चंद्रोदय का समय: 6 अक्टूबर, शाम लगभग 05:27 बजे।
खीर रखने का ‘लाभ-उन्नति मुहूर्त’
ज्योतिषियों के अनुसार, इस साल शरद पूर्णिमा पर खीर को चंद्रमा की रोशनी में रखने के लिए सबसे उत्तम समय लाभ-उन्नति मुहूर्त रहेगा। यह मुहूर्त 6 अक्टूबर की रात 10 बजकर 37 मिनट से लेकर देर रात 12 बजकर 09 मिनट तक रहेगा। इस अवधि में खीर को खुले आसमान के नीचे रखने से उसमें चंद्रमा की अमृतमयी किरणों का पूर्ण संचार होता है।
शरद पूर्णिमा पर खीर का महत्व
शरद पूर्णिमा की रात को चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं से परिपूर्ण होता है और पृथ्वी के सबसे निकट होता है।पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस रात्रि में चंद्रमा की किरणों से अमृत की वर्षा होती है।इसीलिए इस दिन खुले आसमान के नीचे दूध, चावल और चीनी से बनी खीर रखने की परंपरा है। माना जाता है कि चांदी के पात्र में खीर बनाना और रखना विशेष लाभकारी होता है, क्योंकि चांदी की रोग प्रतिरोधक क्षमता अधिक होती है।
अगले दिन सुबह इस खीर को प्रसाद के रूप में ग्रहण करने से न केवल रोगों से मुक्ति मिलती है और शरीर निरोगी होता है, बल्कि मानसिक शांति और सौभाग्य की भी प्राप्ति होती है।
मां लक्ष्मी का मिलेगा आशीर्वाद
शरद पूर्णिमा को ‘कोजागरी पूर्णिमा’ भी कहा जाता है, जिसका अर्थ है ‘कौन जाग रहा है’।ऐसी मान्यता है कि इस रात देवी लक्ष्मी पृथ्वी पर भ्रमण करती हैं और जो भक्त जागरण कर उनकी उपासना करते हैं, उन पर अपनी विशेष कृपा बरसाती हैं।