
नई दिल्ली: हिंदू धर्म में सबसे पवित्र माने जाने वाले कार्तिक मास की शुरुआत इस वर्ष 2025 में 8 अक्टूबर, बुधवार से हो रही है। इसका समापन 5 नवंबर, बुधवार को कार्तिक पूर्णिमा के साथ होगा। आश्विन मास की पूर्णिमा के अगले दिन से कार्तिक मास प्रारंभ होता है, जो भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की आराधना के लिए विशेष रूप से फलदायी माना जाता है।
लोगों में कार्तिक मास के आरंभ की तिथि को लेकर कुछ भ्रम है, लेकिन पंचांग के अनुसार, कार्तिक मास की प्रतिपदा तिथि 8 अक्टूबर से ही लग रही है। यह पूरा महीना पूजा-पाठ, व्रत, स्नान-दान और दीपदान के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
कार्तिक मास के महत्वपूर्ण नियम:
मान्यता है कि कार्तिक मास में कुछ नियमों का पालन करने से व्यक्ति को अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
- तुलसी पूजन: इस पूरे महीने में तुलसी जी की पूजा का विशेष महत्व है। प्रतिदिन सुबह और शाम तुलसी के पौधे के पास घी का दीपक जलाना बेहद शुभ माना गया है।
- पवित्र स्नान: कार्तिक मास में ब्रह्म मुहूर्त में उठकर गंगा, यमुना या किसी भी पवित्र नदी में स्नान करना उत्तम माना जाता है।कहा जाता है कि इस दौरान भगवान विष्णु जल में निवास करते हैं।
- सात्विक भोजन: इस महीने में सात्विक भोजन ग्रहण करने का विधान है। लहसुन, प्याज, मांसाहार और कुछ विशेष सब्जियों जैसे बैंगन, गाजर, लौकी आदि से परहेज करना चाहिए।
- भूमि पर शयन: जो लोग कार्तिक का व्रत रखते हैं, उन्हें भूमि पर शयन करना चाहिए। इससे मन में सात्विकता का भाव आता है।
- दान-पुण्य: इस महीने में अपनी क्षमता के अनुसार अन्न, वस्त्र या धन का दान करना अत्यंत पुण्यकारी माना जाता है।
दीपदान का विशेष महत्व
कार्तिक मास को “दीपदान का महीना” भी कहा जाता है।इस दौरान मंदिरों, नदियों के घाटों और तुलसी के पौधे के पास दीपक जलाने का विशेष महत्व है।मान्यता है कि दीपदान करने से जीवन से अंधकार दूर होता है, मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और घर में सुख-शांति आती है।
यह महीना कई प्रमुख त्योहारों को भी अपने साथ लेकर आता है, जिनमें करवा चौथ, धनतेरस, दीपावली, गोवर्धन पूजा, भाई दूज और छठ पूजा शामिल हैं। कार्तिक मास का समापन देव दीपावली के महापर्व के साथ होता है, जो इस महीने के आध्यात्मिक महत्व को और बढ़ा देता है।