
देहरादून: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने अपनी स्थापना के 100 वर्ष पूरे कर लिए हैं। इस ऐतिहासिक पड़ाव को मनाने के लिए संघ ने शताब्दी वर्ष के दौरान उत्तराखंड में एक व्यापक अभियान चलाने की योजना बनाई है।इस अभियान का मुख्य केंद्र ‘पंच परिवर्तन’ होगा, जिसके माध्यम से संघ का लक्ष्य प्रदेश के 20 लाख परिवारों तक अपनी पहुंच बनाना है।
संघ की स्थापना विजयादशमी के दिन 1925 में डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार ने की थी। शताब्दी वर्ष के कार्यक्रमों की शुरुआत हो चुकी है और ये पूरे साल चलेंगे।उत्तराखंड के सभी जिलों में मंडल, बस्ती और नगर स्तर पर कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।
क्या है ‘पंच परिवर्तन’?
शताब्दी वर्ष में संघ का विशेष जोर ‘पंच परिवर्तन’ पर है, जिसमें पांच प्रमुख विषयों को शामिल किया गया है:
- सामाजिक समरसता: समाज में जाति और वर्ग भेद को समाप्त कर एक सामंजस्यपूर्ण वातावरण का निर्माण करना।संघ “एक कुआँ, एक मंदिर, एक श्मशान” की अवधारणा को बल देता है।
- कुटुंब प्रबोधन: परिवारों में भारतीय संस्कार, स्वभाषा, स्वदेशी भोजन और वेशभूषा को बढ़ावा देना।
- पर्यावरण संरक्षण: जल, जंगल और जमीन के संरक्षण के लिए समाज को जागरूक करना।
- स्वदेशी आचरण: दैनिक जीवन में स्वदेशी उत्पादों को अपनाने पर बल देना।
- नागरिक कर्तव्य: प्रत्येक नागरिक को अपने सामाजिक और राष्ट्रीय कर्तव्यों के प्रति जागरूक करना।
20 लाख परिवारों से संपर्क का लक्ष्य
इस एक साल की अवधि में, संघ के स्वयंसेवक उत्तराखंड के 20 लाख परिवारों तक सीधे संपर्क स्थापित करेंगे।इस व्यापक जनसंपर्क अभियान का उद्देश्य संघ की विचारधारा और ‘पंच परिवर्तन’ के संदेश को घर-घर तक पहुंचाना है। आपदाग्रस्त क्षेत्रों के आसपास के इलाकों में विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।
देशभर में शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस अवसर पर एक विशेष स्मारक डाक टिकट और 100 रुपये का सिक्का भी जारी किया।संघ का मानना है कि इन पहलों के माध्यम से समाज में एक सकारात्मक और स्थायी बदलाव लाया जा सकेगा, जो राष्ट्र निर्माण में सहायक होगा।