
देहरादून: उत्तराखंड में चारधाम यात्रा 2025 के समापन की घोषणा के साथ ही राज्य सरकार ने शीतकालीन पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए कमर कस ली है। चारधामों के कपाट शीतकाल के लिए बंद होने के बाद भी प्रदेश में पर्यटन की गति को बनाए रखने के लिए विस्तृत कार्ययोजना पर काम शुरू हो गया है। इसका मुख्य उद्देश्य श्रद्धालुओं और पर्यटकों को शीतकाल में भी देवभूमि के दिव्य वातावरण का अनुभव कराना और स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करना है।
चारधामों के शीतकालीन गद्दीस्थल बनेंगे आकर्षण का केंद्र
सर्दियों में भारी बर्फबारी के कारण चारधामों के कपाट श्रद्धालुओं के लिए बंद कर दिए जाते हैं। इस दौरान भगवान की चल विग्रह मूर्तियों को उनके शीतकालीन गद्दीस्थलों पर स्थापित कर दिया जाता है, जहां उनकी पूजा-अर्चना निरंतर जारी रहती है।
- बदरीनाथ: भगवान बदरी विशाल के दर्शन शीतकाल में जोशीमठ के नृसिंह मंदिर और पांडुकेश्वर में किए जा सकेंगे।
- केदारनाथ: बाबा केदार के शीतकालीन प्रवास स्थल रुद्रप्रयाग के ऊखीमठ स्थित ओंकारेश्वर मंदिर में श्रद्धालु दर्शन कर सकेंगे।
- गंगोत्री: मां गंगा के दर्शन उनके शीतकालीन प्रवास स्थल मुखबा गांव में होंगे।
- यमुनोत्री: मां यमुना के दर्शन खरसाली गांव में किए जा सकेंगे।
सरकार इन शीतकालीन गद्दीस्थलों को प्रमुख पर्यटन केंद्रों के रूप में विकसित करने की तैयारी में है, ताकि श्रद्धालु यहां आकर पूजा-अर्चना के साथ-साथ उत्तराखंड की प्राकृतिक सुंदरता का भी आनंद ले सकें।
शीतकालीन पर्यटन के लिए व्यापक तैयारियां
राज्य सरकार ने शीतकालीन यात्रा को सुगम और आकर्षक बनाने के लिए कई कदम उठाए हैं। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि शीतकालीन यात्रा पर आने वाले श्रद्धालुओं के लिए सभी आवश्यक व्यवस्थाएं सुनिश्चित की जाएं।पिछले साल के शीतकालीन पर्यटन के सफल प्रयोग से उत्साहित होकर इस वर्ष यात्रा मार्गों को और अधिक सुगम, सुरक्षित और सुविधायुक्त बनाने पर जोर दिया जा रहा है।इसके तहत निर्बाध बिजली आपूर्ति, पेयजल की उपलब्धता, सुरक्षित आश्रय स्थल, स्वास्थ्य सेवाएं और बेहतर परिवहन सेवाएं शामिल हैं।
औली में स्कीइंग और अन्य साहसिक खेलों पर भी फोकस
चारधामों के शीतकालीन दर्शन के अलावा, उत्तराखंड पर्यटन विकास परिषद (UTDB) साहसिक पर्यटन पर भी विशेष ध्यान दे रहा है। विश्व प्रसिद्ध स्कीइंग डेस्टिनेशन औली में स्कीइंग के साथ-साथ नैनीताल और मसूरी जैसे शहरों में शरदोत्सव (विंटर कार्निवाल) के आयोजन की भी रूपरेखा तैयार की जा रही है।इसके अलावा, पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए चोपता, हर की दून और द्रोणागिरी जैसे ट्रैकिंग रूट्स और ऋषिकेश में राफ्टिंग के लिए आकर्षक टूर पैकेज भी तैयार किए जा रहे हैं।
इन तैयारियों का उद्देश्य उत्तराखंड को एक सर्व-मौसमी पर्यटन स्थल के रूप में स्थापित करना है, जिससे न केवल राज्य की आर्थिकी को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि स्थानीय निवासियों के लिए रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे।