
लखनऊ: उत्तर प्रदेश में दवाओं की गुणवत्ता सुनिश्चित करने और नकली दवाओं के कारोबार पर नकेल कसने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक बड़ा कदम उठाया है. अब प्रदेश के हर जिले में जिला औषधि नियंत्रण अधिकारी की तैनाती की जाएगी. इसके लिए मुख्यमंत्री ने नए पद सृजित करने के निर्देश दिए हैं.
यह फैसला प्रदेश में औषधि नियंत्रण तंत्र को सुदृढ़ और प्रभावी बनाने के उद्देश्य से लिया गया है. जिला स्तर पर कार्य व्यवस्था को और मजबूत करने के लिए “जिला औषधि नियंत्रण अधिकारी” का नया पद सृजित किया जा रहा है.
क्यों पड़ी इस फैसले की जरूरत?
अभी तक कई जिलों में औषधि निरीक्षकों की कमी के चलते नकली और अधोमानक दवाओं की जांच का अभियान प्रभावित हो रहा था. खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन (एफएसडीए) में औषधि निरीक्षकों के 109 पदों में से 32 पद दो साल से भी अधिक समय से खाली पड़े थे. कई जिले तो ऐसे थे जहां एक भी औषधि निरीक्षक नहीं था.
इस कमी का खामियाजा प्रदेश की जनता को भुगतना पड़ रहा था और नकली दवाओं के सौदागरों के हौसले बुलंद थे. मिलावटी कफ सीरप जैसे मामलों की जांच के दौरान औषधि निरीक्षकों की कमी सबसे ज्यादा खली थी.
क्या होगा असर?
हर जिले में जिला औषधि नियंत्रण अधिकारी की तैनाती से कई सकारात्मक बदलावों की उम्मीद है:
- दवाओं की गुणवत्ता पर नजर: दवाओं की गुणवत्ता पर जिला स्तर पर सीधी नजर रखी जा सकेगी.
- नकली दवाओं पर लगाम: नकली और अधोमानक दवाओं के खिलाफ अभियान तेज होगा और ऐसे गोरखधंधे में लिप्त लोगों पर सख्त कार्रवाई होगी.
- प्रभावी सैंपलिंग और जांच: दवाओं के नमूने लेने और उनकी जांच की प्रक्रिया में तेजी आएगी.
- बेहतर समन्वय: जिला स्तर पर स्वास्थ्य विभाग और अन्य संबंधित विभागों के साथ बेहतर समन्वय स्थापित होगा.
- जनता को सुरक्षित दवाएं: प्रदेश की जनता को सुरक्षित और असरदार दवाएं मिल सकेंगी.
भर्ती प्रक्रिया जल्द होगी शुरू
स्वास्थ्य विभाग ने औषधि निरीक्षकों के खाली पड़े 27 पदों को भरने की तैयारी शुरू कर दी है और इसके लिए उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग को अधियाचन भेज दिया गया है. उम्मीद है कि जल्द ही इन पदों पर भर्ती प्रक्रिया शुरू होगी.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का यह फैसला प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने और जनता को सुरक्षित दवाएं मुहैया कराने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है.
