
नई दिल्ली: देश के 10 केंद्रीय ट्रेड यूनियनों और विभिन्न किसान संगठनों ने सरकार की कथित “कॉर्पोरेट-परस्त, मजदूर-विरोधी और किसान-विरोधी” नीतियों के खिलाफ बुधवार, 9 जुलाई, 2025 को ‘भारत बंद’ का आह्वान किया है। इस राष्ट्रव्यापी हड़ताल में बैंकिंग, बीमा, कोयला खनन, डाक, और परिवहन जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों के 25 करोड़ से अधिक कर्मचारियों के शामिल होने का अनुमान है। हालांकि, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से संबद्ध भारतीय मजदूर संघ (BMS) ने इस बंद में शामिल नहीं होने का बड़ा ऐलान किया है।
BMS ने हड़ताल को बताया राजनीति से प्रेरित
भारतीय मजदूर संघ (BMS) ने मंगलवार को एक बयान जारी कर स्पष्ट किया कि वह इस हड़ताल में भाग नहीं लेगा। बीएमएस का कहना है कि यह आंदोलन राजनीति से प्रेरित है। संघ के अनुसार, सरकार ने श्रम संहिताओं में बदलाव करने के उनके सुझावों पर ध्यान दिया है और श्रमिकों के हित में और भी सुधारात्मक कदम उठाने के लिए तैयार है। बीएमएस के केंद्रीय उपाध्यक्ष के. लक्ष्मा रेड्डी ने कहा कि चार नए लेबर कोड में से दो मजदूरों के हित में हैं और बीएमएस उनका समर्थन करती है, जबकि बाकी दो पर सरकार से बातचीत जारी है।
हड़ताल के मुख्य कारण और मांगें
हड़ताल का आह्वान करने वाले ट्रेड यूनियनों का आरोप है कि सरकार की नीतियां मजदूरों के अधिकारों को कमजोर कर रही हैं। उनकी प्रमुख मांगों में शामिल हैं:
- चारों लेबर कोड को वापस लेना।
- सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों का निजीकरण रोकना।
- न्यूनतम मजदूरी ₹26,000 प्रति माह तय करना।
- पुरानी पेंशन योजना (OPS) को बहाल करना।
- किसानों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की गारंटी।
क्या रहेगा बंद और क्या रहेगा खुला?
इस हड़ताल के कारण सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों और बीमा कंपनियों में कामकाज प्रभावित होने की आशंका है। इसके अलावा, कोयला खनन, डाक सेवाएं, और राज्य परिवहन सेवाओं पर भी असर पड़ सकता है। हालांकि, स्कूल, कॉलेज और निजी कार्यालयों के खुले रहने की उम्मीद है, लेकिन परिवहन समस्याओं के कारण कुछ क्षेत्रों में कामकाज प्रभावित हो सकता है। रेलवे यूनियनों ने औपचारिक रूप से हड़ताल का ऐलान नहीं किया है, लेकिन कुछ इलाकों में प्रदर्शनों से स्थानीय ट्रेनें प्रभावित हो सकती हैं। आपातकालीन सेवाएं जैसे अस्पताल और दवा दुकानें खुली रहेंगी।
यह हड़ताल सरकार की आर्थिक और श्रम नीतियों के खिलाफ एक बड़े विरोध प्रदर्शन के रूप में देखी जा रही है। वहीं, बीएमएस का इससे अलग रहना श्रमिक आंदोलन में एक महत्वपूर्ण विभाजन को भी दर्शाता है।