
देहरादून, 28 जुलाई, 2025: हरिद्वार के मनसा देवी मंदिर में हुई दर्दनाक भगदड़ की घटना के बाद उत्तराखंड सरकार ने भविष्य में ऐसी त्रासदियों को रोकने के लिए कड़े कदम उठाए हैं।सोमवार को एक उच्च-स्तरीय बैठक की अध्यक्षता करते हुए, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रदेश के प्रमुख धार्मिक स्थलों पर भीड़ प्रबंधन और सुरक्षा उपायों को सुदृढ़ करने के लिए कई महत्वपूर्ण निर्देश जारी किए। सबसे बड़े फैसले के तहत, अब राज्य के बड़े और प्रसिद्ध मंदिरों में दर्शन के लिए श्रद्धालुओं का पंजीकरण अनिवार्य कर दिया गया है।
यह फैसला रविवार को मनसा देवी मंदिर के संकरे सीढ़ी मार्ग पर बिजली करंट फैलने की अफवाह के बाद मची भगदड़ के मद्देनजर आया है, जिसमें 8 श्रद्धालुओं की मौत हो गई और 30 अन्य घायल हो गए।इस घटना ने राज्य में धार्मिक स्थलों पर भीड़ प्रबंधन की मौजूदा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
इन मंदिरों में लागू होंगे नए नियम
मुख्यमंत्री धामी ने अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि हरिद्वार के मनसा देवी और चंडी देवी मंदिर, टनकपुर स्थित पूर्णागिरि धाम, नैनीताल के विश्व प्रसिद्ध कैंची धाम, अल्मोड़ा के जागेश्वर धाम और पौड़ी के नीलकंठ महादेव मंदिर समेत अन्य प्रमुख मंदिरों में आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या को देखते हुए तत्काल नई व्यवस्थाएं लागू की जाएं। इन मंदिरों में अब क्षमता के अनुसार ही श्रद्धालुओं को चरणबद्ध तरीके से दर्शन करने की अनुमति दी जाएगी ताकि भीड़ को नियंत्रित रखा जा सके।
मंडलायुक्तों की अध्यक्षता में बनेंगी समितियां
व्यवस्थाओं की निगरानी और सुधार के लिए, गढ़वाल और कुमाऊं दोनों मंडलों में आयुक्तों (कमिश्नर) की अध्यक्षता में एक-एक समिति का गठन किया जाएगा।इन समितियों में संबंधित जिलों के जिलाधिकारी (DM), वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (SSP), विकास प्राधिकरणों के उपाध्यक्ष और अन्य कार्यदायी संस्थाओं के प्रतिनिधि सदस्य के तौर पर शामिल होंगे। ये समितियां अपने-अपने क्षेत्रों के धार्मिक स्थलों पर भीड़ प्रबंधन, पैदल मार्गों और सीढ़ियों के चौड़ीकरण, अतिक्रमण हटाने और अन्य मूलभूत सुविधाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए एक व्यापक कार्ययोजना तैयार करेंगी।
मुख्यमंत्री ने विशेष रूप से मनसा देवी मंदिर परिसर के सुनियोजित विकास, धारण क्षमता में वृद्धि और दुकानों के व्यवस्थित प्रबंधन पर जोर दिया।उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिया कि श्रद्धालुओं के लिए दर्शन की व्यवस्था को और अधिक सुगम, सुरक्षित और व्यवस्थित बनाया जाए।
रविवार को श्रावण मास के दौरान मनसा देवी मंदिर की ओर जाने वाली संकरी सीढ़ियों पर बिजली के तार टूटने की अफवाह के बाद भगदड़ मच गई थी। इस दुखद हादसे में आठ श्रद्धालुओं की मौत हो गई और लगभग 30 अन्य घायल हो गए।मृतकों में उत्तर प्रदेश, बिहार और उत्तराखंड के श्रद्धालु शामिल हैं।
इस घटना के तुरंत बाद, पुलिस और प्रशासनिक टीमों ने बचाव और राहत अभियान शुरू किया।मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने घटना पर गहरा दुख व्यक्त करते हुए मृतकों के परिवारों को 2-2 लाख रुपये और घायलों को 50,000 रुपये की अनुग्रह राशि देने की घोषणा की। इसके साथ ही, मनसा देवी मंदिर ट्रस्ट ने भी मृतकों के परिजनों को 5-5 लाख रुपये और घायलों को 1-1 लाख रुपये की सहायता राशि देने का ऐलान किया है।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस घटना पर शोक व्यक्त किया और प्रभावितों को हर संभव सहायता का आश्वासन दिया।
हादसे के बाद, मुख्यमंत्री धामी ने सोमवार को एक उच्च स्तरीय बैठक बुलाई और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए कई महत्वपूर्ण फैसले लिए।[सरकार ने गढ़वाल और कुमाऊं मंडलों के आयुक्तों की अध्यक्षता में एक-एक समिति बनाने का निर्देश दिया है।इन समितियों में संबंधित जिलों के जिलाधिकारी, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक और विकास प्राधिकरणों के उपाध्यक्ष सदस्य के तौर पर शामिल होंगे।
इन समितियों का मुख्य कार्य प्रमुख धार्मिक स्थलों पर भीड़ प्रबंधन, श्रद्धालुओं के पंजीकरण, पैदल मार्गों और सीढ़ियों के चौड़ीकरण, अतिक्रमण हटाने और अन्य बुनियादी सुविधाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करना होगा।मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि दर्शन के लिए श्रद्धालुओं का पंजीकरण अनिवार्य होगा और भीड़ को नियंत्रित करने के लिए चरणबद्ध तरीके से दर्शन की व्यवस्था की जाएगी। उन्होंने मनसा देवी मंदिर परिसर के नियोजित विकास और वहां की दुकानों को व्यवस्थित करने पर भी जोर दिया।
सरकार का यह कदम राज्य के प्रमुख मंदिरों में, खासकर पीक सीजन के दौरान, श्रद्धालुओं की बढ़ती संख्या को देखते हुए उनकी सुरक्षा और बेहतर प्रबंधन सुनिश्चित करने के उद्देश्य से उठाया गया है।