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देहरादून: अंतरराष्ट्रीय दिव्यांग दिवस के अवसर पर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने दिव्यांगजनों के सशक्तिकरण और विकास के लिए बड़ी घोषणाएं कीं। सुभाष मार्ग स्थित वेडिंग पॉइंट में आयोजित राज्यस्तरीय समारोह में मुख्यमंत्री ने 89 दक्ष दिव्यांग कर्मचारियों, खिलाड़ियों, और स्वरोजगार कर रहे दिव्यांगजनों को राज्य दक्षता पुरस्कार से सम्मानित किया। उन्होंने दिव्यांगजनों के लिए मुफ्त उपकरण और छात्र-छात्राओं के लिए ऑनलाइन IAS कोचिंग उपलब्ध कराने की भी घोषणा की।
दिव्यांग नायकों को मिला सम्मान
मुख्यमंत्री ने कहा, “हम उन दिव्यांग नायकों को सम्मानित कर रहे हैं, जिन्होंने अपने आत्मविश्वास और साहस से न केवल अपनी जिंदगी बदली, बल्कि समाज के नजरिए को भी सकारात्मक रूप से बदलने का काम किया।”
उन्होंने कहा कि दिव्यांगजन आज सरकारी दफ्तरों से लेकर खेल के मैदान तक हर क्षेत्र में अपनी काबिलियत का लोहा मनवा रहे हैं।
दिव्यांगजनों के लिए सरकार की पहल
- विशेष शिविरों के माध्यम से मुफ्त उपकरण वितरण
- दिव्यांगजनों को जिलों में विशेष शिविरों का आयोजन कर मुफ्त उपकरण उपलब्ध कराए जाएंगे।
- ऑनलाइन IAS कोचिंग
- प्रदेश के छात्र-छात्राओं को ऑनलाइन IAS की कोचिंग देकर उनके करियर को नई दिशा देने का प्रयास।
- पेंशन और प्रोत्साहन राशि
- दिव्यांगजनों को अलग-अलग श्रेणियों में पांच पेंशन दी जा रही है।
- दिव्यांगजन से विवाह करने पर दंपत्ति को 25,000 रुपये प्रोत्साहन राशि दी जा रही है।
- छात्रवृत्ति योजना
- कक्षा 1 से 8 तक के दिव्यांग बच्चों और दिव्यांग अभिभावकों के बच्चों को छात्रवृत्ति दी जा रही है।
- विशेष मानसिक पुनर्वास गृह का निर्माण
- ऊधमसिंह नगर में विशेष मानसिक पुनर्वास गृह बनाया जा रहा है।
समाज को प्रेरित करने वाले दिव्यांगजन
मुख्यमंत्री ने कहा कि ये नायक न केवल अपने सपनों को साकार कर रहे हैं, बल्कि समाज को प्रेरणा देने का काम कर रहे हैं। राज्य सरकार दिव्यांगजनों के लिए सभी सार्वजनिक स्थलों पर सुविधाएं सुनिश्चित कर रही है, जैसे अस्पताल, बस अड्डे, और अन्य सार्वजनिक इमारतों में विशेष इंतजाम।
समारोह में विधायक खजान दास, उमेश शर्मा काऊ, सचिव समाज कल्याण नीरज खैरवाल, और आयुक्त दिव्यांगजन प्रकाश चंद्र सहित कई गणमान्य लोग उपस्थित रहे।
दिव्यांगजनों के लिए नई उम्मीदों का सूरज
मुख्यमंत्री धामी की ये घोषणाएं न केवल दिव्यांगजनों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाएंगी, बल्कि उन्हें समाज में आत्मनिर्भर और प्रेरणास्रोत बनने का मौका देंगी।