
देहरादून: वन विभाग ने वन्यजीवों को आबादी में घुसने से रोकने के लिए एक नई पहल शुरू की है। विभाग ने फैसला किया है कि संवेदनशील क्षेत्रों में जैविक बाड़ लगाई जाएगी, जिसमें कांटेदार बबूल, नागफनी, करौंदा, कांटेदार बांस और लैमन ग्रास जैसी प्रजातियों की वनस्पतियों का उपयोग किया जाएगा। इसका उद्देश्य वन्यजीवों को गांवों और खेतीबाड़ी क्षेत्रों में घुसने से रोकना है, जिससे हर साल मानव जीवन और फसलों को भारी नुकसान होता है।
तराई केंद्रीय वन प्रभाग के डीएफओ यूसी तिवारी ने बताया कि हल्द्वानी रेंज में पांच मीटर चौड़ी और ढाई किलोमीटर लंबी जैविक बाड़ बनाई जाएगी। यह क्षेत्र वन्यजीव घुसपैठ के लिए काफी संवेदनशील है, इसलिए यहां इस बाड़ को लगाने का निर्णय लिया गया है।
अब तक वन्यजीवों को रोकने के लिए हाथी दीवार, खाई खोदना, सोलर फैंसिंग, टेंटिकल सोलर फैंसिंग और मधुमक्खी के डिब्बों की कतार जैसे कई उपाय किए गए थे, लेकिन इनसे पूरी तरह सफलता नहीं मिली। अब जैविक बाड़ के माध्यम से वन्यजीवों की घुसपैठ रोकने का प्रयास किया जाएगा। प्रमुख वन संरक्षक वन्यजीव, रंजन मिश्रा ने बताया कि जब तक यह बाड़ पूरी तरह तैयार नहीं होती, पहले से चले आ रहे सुरक्षात्मक उपाय जारी रहेंगे।
वन्यजीव सप्ताह के तहत चिड़ियाबाड़ा और क्वारंटीन हाउस का शिलान्यास
वन्यजीव सप्ताह के अवसर पर देहरादून चिड़ियाघर में वन मंत्री सुबोध उनियाल द्वारा चिड़ियाबाड़ा और क्वारंटीन हाउस का शिलान्यास किया जाएगा। इस दौरान सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किए जाएंगे। इसके साथ ही उत्तरा आर्ट गैलरी में फिलेटली और रेपटर फोटो प्रदर्शनी का आयोजन किया जाएगा।