नई दिल्ली: दीपावली के त्यौहार को मनाए जाने के पीछे बहुत सी पौराणिक कथाएं जुड़ी हुई है। परंतु उनमें से कुछ विशेष कथाओं के विषय में हम आपको बताने जा रहे हैं।

- श्री राम के वनवास से अयोध्या लौटने की खुशी में :
यह कहानी सभी भारतीय को पता है कि हम दिवाली श्री राम जी के वनवास से लौटने की खुशी में मनाते हैं। मंथरा के गलत विचारों से पीड़ित हो कर भरत की माता कैकई श्रीराम को उनके पिता दशरथ से वनवास भेजने के लिए वचनवद्ध कर देती हैं। ऐसे में श्रीराम अपने पिता के आदेश को सम्मान मानते हुए माता सीता और भाई लक्ष्मण के साथ 14 वर्ष के वनवास के लिए निकल पड़ते हैं। वहीं वन में रावण माता सीता का छल से अपहरण कर लेता है।

- भगवान् श्री कृष्ण ने नरकासुर राक्षस का किया था संहार :
इसी दिन प्रभु श्री कृष्ण ने नरकासुर राक्षस का वध किया था। नरकासुर उस समय प्रागज्योतिषपुर (जो की आज दक्षिण नेपाल एक प्रान्त है) का राजा था। नरकासुर इतना क्रूर था की उसने देवमाता अदिति के शानदार बालियों तक को छीन लिया। देवमाता अदिति श्री कृष्ण की पत्नी सत्यभामा की सम्बन्धी थी। नरकासुर ने कुल 16 भगवान की कन्याओं को बंधित कर के रखा था। श्री कृष्ण की मदद से सत्यभामा ने नरकासुर का वध किया और सभी देवी कन्याओं को उसके चंगुल से छुड़ाया।

- पांडवों का अपने राज्य में वापस लौटना :
आप सभी ने महाभारत की कहानी तो सुनी ही होगी। कौरवों ने, शकुनी मामा के चाल की मदद से शतरंज के खेल में पांडवों का सब कुछ छीन लिया था। यहां तक की उन्हें राज्य छोड़ कर 13 वर्ष के लिए वनवास भी जाना पड़ा। इसी कार्तिक अमावस्या को वो 5 पांडव (युधिष्ठिर, भीम, अर्जुन, नकुल और सहदेव) 13 वर्ष के वनवास से अपने राज्य लौटे थे। उनके लौटने के खुशी में उनके राज्य के लोगों नें दीप जला कर खुशियां मनाई थी।

- सिक्खों के 6वें गुरु को मिली थी आजादी :
मुगल बादशाह जहांगीर ने सिखों के 6वें गुरु गोविंद सिंह सहित 52 राजाओं को ग्वालियर के किले में बंदी बनाया था। गुरू को कैद करने के बाद जहांगीर मानसिक रूप से परेशान रहने लगा। जहांगीर को स्वप्न में किसी फकीर से गुरू जी को आजाद करने का हुक्म मिला था। जब गुरु को कैद से आजाद किया जाने लगा तो वे अपने साथ कैद हुए राजाओं को भी रिहा करने की मांग करने लगे। गुरू हरगोविंद सिंह के कहने पर राजाओं को भी कैद से रिहाई मिली थी। इसलिए इस त्यौहार को सिख समुदाय के लोग भी मनाते हैं।

- मां काली का रौद्र रूप :
एक और कथा के अनुसार माता पार्वती ने राक्षस का वध करने के लिए जब महाकाली का रूप धारण किया था. उसके बाद उनका क्रोध शांत नहीं हो रहा था. तब महाकाली का क्रोध शांत करने के लिए भगवान शिव स्वयं उनके चरणों में लेट गए थे. तब भगवान शिव के स्पर्श से उनका क्रोध शांत हुआ था. इसी की याद में उनके शांत रूप लक्ष्मी की पूजा की शुरुआत हुई. इसी रात इनके रौद्ररूप काली की पूजा का भी विधान है।

- जैन के लिए है एक विशेष दिन :
दीपावली के दिन ही जैन धर्म के संस्थापक महावीर तीर्थंकर ने निर्वाण प्राप्त किया था। एक तपस्वी बनने के लिए उन्होंने अपने शाही जिंदगी और परिवार का त्याग किया था। व्रत और तप को अपनाकर उन्होंने निर्वाण को प्राप्त किया था। यह कहा जाता है कि 43 की उम्र में उन्होंने ज्ञान प्राप्त कर लिया था और जैन धर्म को विस्तार दिया था।

- माता लक्ष्मी का सृष्टि में अवतार :
हर बार दीपावली का त्यौहार हिन्दी कैलंडर के अनुसार कार्तिक महीने के “अमावस्या” के दिन मनाया जाता है। इसी दिन समुन्द्र मंथन के दौरान माता लक्ष्मी जी ने सृष्टि में अवतार लिया था। माता लक्ष्मी को धन और समृद्धि की देवी माना जाता है। इसीलिए हर घर में दीप जलने के साथ-साथ हम माता लक्ष्मी जी की पूजा भी करतें हैं। यह भी दीपावली मनाने का एक मुख्य कारण है।

- राजा विक्रमादित्य का हुआ था राज्याभिषेक :
राजा विक्रमादित्य प्राचीन भारत के एक महान सम्राट थे। वे एक बहुत ही आदर्श राजा थे और उन्हें उनके उदारता, साहस तथा विद्वानों के संरक्षणों के कारण हमेशा जाना जाता है। इसी कार्तिक अमावस्या को उनका राज्याभिषेक हुआ था। राजा विक्रमादित्य मुगलों को धूल चटाने वाले भारत के अंतिम हिंदू सम्राट थे।

- आर्य समाज के लिए खास है यह दिन :
भारतीय आर्य समाज की मान्यताओं के अनुसार भारतीय इतिहास में दीपावली के दिन 19वीं सदी के विद्वान महर्षि दयानंद जी को निर्वाण की प्राप्ति हुई थी। स्वामी दयानंद जी ने ही आर्य समाज की स्थापना की थी और दयानंद जी ने भाईचारे और इंसानियत को बढ़ावा दिया। इन्हीं सभी बातों को ध्यान में रखते हुए आर्य समाज के लोगों के लिए दिवाली का यह दिन बहुत ही खास है।

- दीपावली को कहा जाता है फसलों का त्यौहार :
दीपावली का त्यौहार किसानों के लिए बहुत ही बड़ा त्यौहार होता है। क्योंकि दीपावली का त्यौहार उसी समय आता है, जिस समय खरीफ की फसल पूरी तरह से पक जाती है और इसे काटने का समय आता है। किसान इस त्यौहार को अपनी समृद्धि का संकेत मानते हैं और इसीलिए दीपावली का त्यौहार बड़ी ही उत्साह के साथ मनाते हैं।