![](https://tv10india.com/wp-content/uploads/2024/06/image-38.png)
Dehradun: ज्येष्ठ माह में आने वाली पूर्णिमा का विशेष महत्व माना जाता है। धार्मिक दृष्टिकोण से यह दिन बहुत ही महत्वपूर्ण होता है। इस दिन स्नान के दिन गंगा स्नान करने से सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन, गंगा या फिर किसी पवित्र नदी में स्नान करें। इसके बाद किसी ब्राह्मण को चंद्रमा से जुड़ी चीजें जैसे सफेद वस्त्र, शक्कर, चावल, दही या फिर चांदी का दान करना चाहिए। माना जाता है कि ऐसा करने से कुंडली में चंद्रमा की स्थिति मजबूत होती है और जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है।
ज्येष्ठ पूर्णिमा का दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा के लिए समर्पित है। इस दिन व्रत रखने और पूजा करने से सुख-शांति और धन की प्राप्ति होती है। इस दिन गंगा या किसी अन्य पवित्र नदी में स्नान करने का विशेष महत्व है। मान्यता है कि इससे पापों का नाश होता है और समृद्धि प्राप्त होती है।इस दिन को ब्रह्मरिषि नारद के जन्म के रूप में भी मनाया जाता है, जो भगवान विष्णु के एक अनन्य भक्त और दिव्य संदेशवाहक थे।
ज्येष्ठ पूर्णिमा 2024 के अवसर पर कुछ विशेष उपाय जो आप कर सकते हैं, वे हैं:
- चंद्रमा को अर्घ्य: चंद्रमा निकलने के बाद दूध, चीनी और कच्चे चावल मिलाकर चंद्रमा को अर्घ्य देने से आर्थिक स्थिति में सुधार होता है।
- देवी लक्ष्मी की पूजा: 11 कौड़ियों को लाल कपड़े में लपेटकर देवी लक्ष्मी के चरणों में रखने और पूजा करने से धन की कमी नहीं होती।
- चंद्र देव की पूजा: दूध में शहद और चंदन मिलाकर चंद्रमा को अर्घ्य देने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
- पीपल को जल चढ़ाना: पीपल के पेड़ को मिठाई और जल चढ़ाने से जीवन की परेशानियां दूर होती हैं।
ज्येष्ठ पूर्णिमा का महत्व इसलिए भी है क्योंकि इस दिन चंद्रमा 16 कलाओं से परिपूर्ण होता है और इस दिन की गई पूजा से घर में सुख-शांति, समृद्धि और खुशहाली बनी रहती है।
ज्येष्ठ पूर्णिमा के शुभ मुहूर्त
ज्येष्ठ पूर्णिमा 2024 की तिथि 21 जून को सुबह 7 बजकर 31 मिनट से शुरू हो रही है, जो 22 जून को सुबह 6 बजकर 37 मिनट पर समाप्त हो रही है। इस दिन विशेष रूप से ब्रह्म मुहूर्त, विजय मुहूर्त और गोधूलि मुहूर्त में पूजा करना शुभ माना जाता है
- शुभारंभ: 21 जून 2024, शुक्रवार को प्रातः 06:01 बजे
- समापन: 22 जून 2024, शनिवार को प्रातः 05:07 बजे
इस दौरान व्रत और स्नान-दान के लिए निम्नलिखित मुहूर्त विशेष रूप से शुभ माने जाते हैं:
- ब्रह्म मुहूर्त: प्रातः 04:24 से 05:12 (विशेष रूप से पूजा के लिए उत्तम)
- अभिजित मुहूर्त: दोपहर 11:54 से 12:48 (सभी शुभ कार्यों के लिए सर्वोत्तम)
- गोधूलि मुहूर्त: सायं 06:43 से 07:07 (ध्यान और प्रार्थना के लिए अनुकूल)
इन मुहूर्तों के दौरान विशेष पूजा और अनुष्ठान करने से ज्यादा शुभ फलों की प्राप्ति होती है।