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पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह नहीं रहे, दिल्ली AIIMS में कहा अंतिम अलविदा

नई दिल्ली: पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह का गुरुवार को दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) में निधन हो गया। 92 वर्षीय डॉ. सिंह को गुरुवार शाम सांस लेने में दिक्कत और बेचैनी की शिकायत के बाद एम्स में भर्ती कराया गया था, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। लंबे समय से स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से जूझ रहे डॉ. सिंह का निधन देश के लिए एक बड़ी क्षति है।

2006 में हुई थी दूसरी बाईपास सर्जरी
डॉ. मनमोहन सिंह को 2006 में दूसरी बार बाईपास सर्जरी के लिए मुंबई के प्रसिद्ध कार्डियक सर्जन डॉ. रमाकांत पांडा की देखरेख में ऑपरेशन किया गया था। कोरोना महामारी के दौरान वे कोविड-19 से भी संक्रमित हुए थे, जिसके बाद से उनकी श्वसन प्रणाली कमजोर हो गई थी। गुरुवार शाम करीब आठ बजे उन्हें एम्स की इमरजेंसी में लाया गया, लेकिन सभी प्रयासों के बावजूद करीब आधे घंटे बाद उन्होंने अंतिम सांस ली।

गाह गांव से प्रधानमंत्री तक का सफर
डॉ. मनमोहन सिंह का जन्म 26 सितंबर 1932 को वर्तमान पाकिस्तान के गाह गांव में हुआ था। विभाजन के दौरान उनका परिवार भारत आ गया। चंडीगढ़ स्थित पंजाब विश्वविद्यालय, कैम्ब्रिज और ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालयों में पढ़ाई करने वाले डॉ. सिंह ने अर्थशास्त्र में डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की और भारत के सबसे प्रतिष्ठित अर्थशास्त्रियों में अपनी पहचान बनाई।

दो बार प्रधानमंत्री और एक महान राष्ट्रसेवक
डॉ. मनमोहन सिंह ने 2004 से 2014 तक लगातार दो कार्यकाल तक भारत के प्रधानमंत्री के रूप में सेवाएं दीं। इस दौरान उनकी आर्थिक नीतियों और विनम्र नेतृत्व की देश-विदेश में प्रशंसा हुई। 1985 से 1987 तक उन्होंने भारतीय योजना आयोग का नेतृत्व किया और भारत के आर्थिक सुधारों में अहम भूमिका निभाई। उनके नेतृत्व में भारत ने आर्थिक विकास और अंतरराष्ट्रीय संबंधों में महत्वपूर्ण प्रगति की।

एक युग का अंत
डॉ. सिंह के शांत और सौम्य व्यक्तित्व ने उन्हें हर वर्ग का प्रिय बनाया। उनके निधन पर देशभर में शोक की लहर है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, राहुल गांधी, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित तमाम नेताओं ने उनके योगदान को याद करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।

डॉ. मनमोहन सिंह के योगदान को इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाएगा। उन्होंने जिस सरलता और प्रतिबद्धता से देश की सेवा की, वह आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बनी रहेगी।

देश आपका सदैव ऋणी रहेगा।

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