तुर्की से भारतीय रसोई तक: होली के रंगों के साथ अगर कुछ सबसे ज्यादा जुड़ा हुआ है, तो वह है गुजिया की मिठास। लेकिन क्या आप जानते हैं कि गुजिया की उत्पत्ति कहां से हुई और इसके प्रसिद्ध होने के पीछे क्या कारण है? आइए जानते हैं इसके पीछे की रोचक कहानी।
गुजिया, जो कि एक मीठी डम्पलिंग है, उसका इतिहास 13वीं शताब्दी तक जाता है, जब गुड़ और शहद के मिश्रण को गेहूं के आटे में लपेटकर सूरज की रोशनी में सुखाया जाता था। कुछ सिद्धांतों के अनुसार, गुजिया की प्रेरणा तुर्की की बकलावा से मिली हो सकती है, जो कि एक परतदार, मक्खनी मिठाई है जिसे शहद और चीनी में भिगोया जाता है।
भारत में होली के त्योहार पर गुजिया का बहुत महत्व है। ब्रज क्षेत्र में होली के दौरान भगवान कृष्ण को यह मिठाई अर्पित की जाती है, और यहीं से गुजिया बनाने की परंपरा शुरू हुई। इसके अलावा, भारत के कई क्षेत्रीय व्यंजनों में गुजिया जैसी डिशेज़ हैं, लेकिन अलग-अलग भरावन के साथ। बिहार में इसे पेडकिया, गुजरात में घुघरा, महाराष्ट्र में करंजी, तमिलनाडु में सोमस, तेलंगाना में गरिजालु, आंध्र प्रदेश में कज्जिकायालु, कर्नाटक में कर्जिकायी या करिगडुबु कहा जाता है।
इस प्रकार, गुजिया ने सदियों और विभिन्न देशों के माध्यम से एक लंबा सफर तय किया है और भारतीय रसोई में अपनी एक खास जगह बनाई है। तो इस होली, अपने परिवार और प्रियजनों के साथ गुजिया का आनंद लें और त्योहार को मीठे ढंग से मनाएं। शुभ होली!
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