
देहरादून: उत्तराखंड में कांवड़ यात्रा अपने चरम पर है और करोड़ों श्रद्धालुओं के आवागमन से वन्यजीवों का जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। विशेष रूप से हरिद्वार, ऋषिकेश और देहरादून से गुजरने वाले कांवड़ मार्गों पर तेज संगीत (डीजे), बड़े-बड़े भंडारे और भारी भीड़ के कारण वन्यजीव, खासकर हाथी, परेशान होकर जंगल से बाहर आबादी वाले क्षेत्रों की ओर आ रहे हैं। हाल ही में हुई कुछ घटनाओं ने वन विभाग की चुनौती को और बढ़ा दिया है, जिसके चलते संवेदनशील इलाकों में अतिरिक्त बल तैनात किया गया है और गश्त बढ़ा दी गई है।
डीजे और भंडारे बने परेशानी का सबब
कांवड़ यात्रा के दौरान, विशेषकर डाक कांवड़ियों द्वारा तेज आवाज में डीजे बजाना और वन्यजीवों के रास्तों (कॉरिडोर) के पास भंडारे आयोजित करना जानवरों के लिए बड़ी परेशानी का कारण बन रहा है।देहरादून के संभागीय वन अधिकारी (DFO) नीरज शर्मा के अनुसार, अन्य राज्यों से आने वाले श्रद्धालु अक्सर राजाजी नेशनल पार्क से सटे हाईवे पर भंडारे लगा रहे हैं। खाने की गंध और शोर-शराबे से आकर्षित और परेशान होकर जंगली जानवर, खासकर हाथी, सड़कों पर आ रहे हैं, जिससे मानव-वन्यजीव संघर्ष की घटनाएं बढ़ रही हैं।
गुस्साए हाथियों का हमला
हाल ही में देहरादून के डोईवाला टोल प्लाजा और लच्छीवाला रेंज में मणिमाई मंदिर के पास हाथियों के हमले की घटनाएं सामने आई हैं। शनिवार को मणिमाई मंदिर के पास लगे एक कांवड़ शिविर में तेज डीजे की आवाज और भीड़ से परेशान होकर एक हाथी-हथिनी अपने बच्चे के साथ आ धमके। कांवड़ियों द्वारा शोर मचाने और वीडियो बनाने से हाथी इतना क्रोधित हो गया कि उसने वहां खड़ी ट्रैक्टर-ट्रॉली को पलट दिया।गनीमत रही कि हाथी पांडाल में नहीं घुसा, जिससे एक बड़ा हादसा टल गया। इस घटना में एक व्यक्ति घायल भी हुआ। इससे पहले डोईवाला टोल प्लाजा के पास भी हाथियों के झुंड ने कांवड़ियों को दौड़ाया था और गाड़ियों को पलट दिया था।
वन विभाग की बढ़ी सक्रियता
इन घटनाओं के बाद वन विभाग पूरी तरह से अलर्ट मोड पर है।
- अतिरिक्त फोर्स की तैनाती: मानव-वन्यजीव संघर्ष को रोकने के लिए हरिद्वार, ऋषिकेश और देहरादून डिवीजन के सैकड़ों कर्मचारियों को संवेदनशील मार्गों पर तैनात किया गया है।
- गश्त में वृद्धि: नेपाली फार्म से लेकर देहरादून तक, जहां हाथियों की मूवमेंट सबसे अधिक है, वहां सुबह से लेकर रात तक पेट्रोलिंग की जा रही है।
- चेतावनी और अपील: विभाग ने भंडारा आयोजकों को व्यवस्थित तरीके से कार्यक्रम चलाने की चेतावनी दी है और कांवड़ियों से वन्यजीवों को न छेड़ने की अपील की है।
- ड्रोन से निगरानी: कांवड़ यात्रा की निगरानी और सुरक्षा के लिए “नभ नेत्र” ड्रोन को भी तैनात किया गया है, ताकि भीड़भाड़ वाले इलाकों और संवेदनशील वन्यजीव क्षेत्रों पर नजर रखी जा सके।
वन विभाग के सामने दोहरी चुनौती है – कांवड़ियों की सुरक्षा सुनिश्चित करना और वन्यजीवों को उनके प्राकृतिक आवास में सुरक्षित रखना। विभाग का कहना है कि कॉर्बेट से राजाजी नेशनल पार्क में लाए गए बाघ की मूवमेंट भी इसी क्षेत्र में है, जिसे देखते हुए कोई जोखिम नहीं लिया जा सकता।