सतयुग में शशोका नाम का नरभक्षी था जो आते जाते राहगीरो को मारकर खा जाता था। एक दिन जब वो शिकार पर निकला तब उसे एक कुटिआ में साधना करते हुए साधु मिले , उनको शांत देख कर शशोका ने पूछा की आप मुझसे डरे क्यों नहीं सभी लोग मुझसे डरते है, साधु बोले की मुझे क्या डरना अगर भगवन ने मुझे तुम्हारा भोजन चुना है तो मैं इसके लिए तैयार हु, ये सुनकर शशोका की आँखे खुल जाती है और वो साधु से माफ़ी माँगते हुए रास्ता पूछता है जिससे सभी पाप और दुख दूर हो सके उसके भाव को पहचानते हुए साधु उसे वरदान देते है की अगले जन्म में तुम अशोक नाम का पौधा बनोगे जो रावण नाम के राक्षस के बगीचे में लगा होगा और जब एक दिन हनुमान जी आकर माता सीता से मिलेंगे और तुम्हारी शाखाओ के ऊपर बैठकर उनको श्री राम का संदेश सुनाएंगे तो उसे सुन कर माता सीता के दुःख के साथ साथ तुम्हारे भी दुःख और पाप दूर हो जायेंगे यही वजह है की आज कलयुग में लोग दुख दूर करने के लिए घर में अशोक का पेड़ लगाते है।
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June 20, 2025