
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘मन की बात’ कार्यक्रम में देश को संबोधित किया। उन्होंने कार्यक्रम के शुरुआत में पिछले दिनों हुए लोकसभा चुनाव का जिक्र किया और देशवासियों का आभार व्यक्त किया कि उन्होंने संविधान और देश की लोकतंत्रिक व्यवस्थाओं पर अपना अटूट विश्वास दोहराया। उन्होंने इस बारे में कहा, “2024 का चुनाव, दुनिया का सबसे बड़ा चुनाव था। इसके महत्व को समझने के लिए यह जरूरी है कि दुनिया के किसी भी देश में इतना बड़ा चुनाव कभी नहीं हुआ। मैं चुनाव आयोग और मतदान की प्रक्रिया से जुड़े हर व्यक्ति को उनकी मेहनत और योगदान के लिए बधाई देता हूं।”
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘मन की बात’ कार्यक्रम में देश को संबोधित किया। उन्होंने इस दिन, 30 जून को ‘हूल दिवस’ के रूप में मनाया जाने वाला महत्वपूर्ण दिन के बारे में बताया। इस दिन को वीर सिद्धो-कान्हू के अदम्य साहस और उनके विदेशी शासकों के खिलाफ विरोध के संदर्भ में याद किया गया। उन्होंने बताया कि वीर सिद्धो-कान्हू और हजारों संथाली साथियों ने झारखंड के संथाल परगना में अंग्रेजों के खिलाफ हथियार उठाया था।
इसके बाद, प्रधानमंत्री मोदी ने मां के महत्व पर भी बात की। उन्होंने कहा, “अगर मैं आपसे पूछूं कि दुनिया का सबसे अनमोल रिश्ता कौन सा होता है, तो आप जरूर कहेंगे- मां। हम सबके जीवन में ‘मां’ का दर्जा सबसे ऊंचा होता है। मां हर दुख सहकर भी अपने बच्चे का पालन-पोषण करती है। हर मां अपने बच्चे पर हर स्नेह लुटाती है। जन्मदात्री मां का ये प्यार हम सब पर एक कर्ज की तरह होता है जिसे कोई चुका नहीं सकता।”
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आगे कहा कि हम मां को कुछ दे तो सकते नहीं, लेकिन और कुछ कर सकते हैं। उन्होंने इसी सोच में से इस वर्ष विश्व पर्यावरण दिवस पर एक विशेष अभियान का उल्लेख किया, जिसका नाम है “एक पेड़ माँ के नाम”। इस अभियान के अंतर्गत लोगों को पेड़ लगाने के लिए प्रोत्साहित किया गया है, उन्होंने भी बताया कि उन्होंने भी एक पेड़ अपनी माँ के नाम लगाया है, जिससे उन्होंने अपने संबंध में भी अपने विचार और प्रयास को स्पष्ट किया।
पीएम मोदी ने 21 जून को मनाए गए अंतरराष्ट्रीय योग दिवस का उल्लेख करते हुए कहा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ के माध्यम से कई महत्वपूर्ण विषयों पर अपने विचार साझा किए। उन्होंने विशेष रूप से पर्यावरण और योग पर जोर दिया। पीएम मोदी ने 21 जून को मनाए गए अंतरराष्ट्रीय योग दिवस का उल्लेख करते हुए कहा कि योग को सिर्फ एक दिन का अभ्यास नहीं बनाना चाहिए, बल्कि इसे नियमित रूप से करना चाहिए। उन्होंने कहा कि नियमित योग करने से जीवन में सकारात्मक बदलाव आते हैं।
प्रधानमंत्री ने बताया कि इस साल का योग दिवस दुनियाभर में बड़े उत्साह के साथ मनाया गया। उन्होंने खुद जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर में आयोजित योग कार्यक्रम में भाग लिया था।
इसके अलावा, पीएम मोदी ने भारतीय संस्कृति की वैश्विक मान्यता पर भी चर्चा की। उन्होंने कहा कि जून के महीने में दो कैरेबियाई देशों, सूरीनाम और संत विंसेंट और ग्रेनडीनेस, ने अपने भारतीय विरासत का उत्साहपूर्वक जश्न मनाया। इसी प्रकार, कुवैत सरकार ने अपने राष्ट्रीय रेडियो पर हर रविवार को आधे घंटे का एक विशेष हिन्दी कार्यक्रम शुरू किया है, जिसमें भारतीय संस्कृति के विभिन्न रंगों को शामिल किया जाता है। इस कार्यक्रम को वहां भारतीय समुदाय के साथ-साथ कुवैत के स्थानीय लोग भी बड़ी दिलचस्पी से सुनते हैं।
दुनिया में योग का डंका
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ में इस बार के योग दिवस के महत्वपूर्ण पलों को साझा किया। 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर उन्होंने जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर में स्थानीय लोगों के साथ योगाभ्यास किया। उन्होंने बताया कि योग दिवस के आयोजन के साथ नए-नए रिकॉर्ड्स बन रहे हैं और दुनियाभर में योग दिवस ने कई शानदार उपलब्धियां हासिल की हैं।सऊदी अरब में पहली बार एक महिला, अल हनौफ साद, ने कॉमन योग प्रोटोकॉल का नेतृत्व किया। यह पहली बार था जब किसी सऊदी महिला ने योग के मुख्य कार्यक्रम को निर्देशित किया।मिस्र में योग दिवस पर एक फोटो प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। नील नदी के किनारे, लाल सागर के किनारों पर और पिरामिडों के सामने योग करते हुए लाखों लोगों की तस्वीरें बहुत लोकप्रिय हुईं।म्यांमार में अपने मार्बल बुद्धा स्टैच्यू के लिए प्रसिद्ध माराविजया पैगोडा कॉम्प्लेक्स में 21 जून को शानदार योग कार्यक्रम का आयोजन हुआ।बहरीन में दिव्यांग बच्चों के लिए एक विशेष शिविर का आयोजन किया गया।श्रीलंका में यूनेस्को हेरिटेज साइट के लिए मशहूर गॉल फोर्ट में भी एक यादगार योग कार्यक्रम हुआ।अमेरिका के न्यूयॉर्क में ऑब्जर्वेशन डेक पर भी लोगों ने योग किया।मार्शल आइलैंड्स पर पहली बार बड़े स्तर पर हुए योग दिवस के कार्यक्रम में यहां के राष्ट्रपति ने भी हिस्सा लिया।भूटान के थिंपू में भी एक बड़ा योग दिवस का कार्यक्रम हुआ, जिसमें प्रधानमंत्री मोदी के मित्र प्रधानमंत्री टोबगे भी शामिल हुएप्रधानमंत्री मोदी ने बताया कि दुनिया के कोने-कोने में योग करते हुए लोगों के अद्भुत दृश्य देखे गए हैं, जो भारतीय संस्कृति और योग के वैश्विक प्रभाव का प्रमाण हैं।
तुर्कमेनिस्तान में रवींद्रनाथ टैगोर को सम्मान
‘मन की बात’ में नरेंद्र मोदी ने आगे तुर्कमेनिस्तान का जिक्र किया. उन्होंने कहा कि तुर्कमेनिस्तान में इस साल मई में वहां के राष्ट्रीय कवि की 300वीं जन्म-जयंती मनाई गई. इस अवसर पर तुर्कमेनिस्तान के राष्ट्रपति ने दुनिया के 24 प्रसिद्ध कवियों की प्रतिमाओं का अनावरण किया. इनमें से एक प्रतिमा गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर जी की भी है. ये गुरुदेव का सम्मान है, भारत का सम्मान है.
प्रधानमंत्री ने आगे कहा कि जून के महीने में दो कैरेबियाई देश सूरीनाम और Saint Vincent and the Grenadines ने अपने Indian heritage को पूरे जोश और उत्साह के साथ सेलिब्रेट किया. सूरीनाम में हिन्दुस्तानी समुदाय हर साल 5 जून को Indian Arrival Day और प्रवासी दिन के रूप में मनाता है. यहां तो हिन्दी के साथ ही भोजपुरी भी खूब बोली जाती है.
‘लोकल प्रोडक्ट हो रहे ग्लोबल’
इसके बाद प्रधानमंत्री ने भारत में बने प्रोडक्ट्स के बारे में बात की. उन्होंने कहा कि भारत के कितने ही प्रोडक्ट्स हैं, .’लोकल प्रोडक्ट हो रहे ग्लोबल’ उन्होंने कहा कि भारत के कितने ही प्रोडक्ट्स हैं, जिनकी दुनिया-भर में बहुत डिमांड है और जब हम भारत के किसी लोकल प्रोडक्ट को ग्लोबल होते देखते हैं, तो ग गर्व से भर जाना स्वाभाविक है. ऐसा ही एक प्रोडक्ट है Araku कॉफी, जो आंध्र प्रदेश के अल्लुरी सीता राम राजू जिले में बड़ी मात्रा में पैदा होती है. ये अपने रिच फ्लेवर और अरोमा के लिए जानी जाती है. लोकल प्रोडक्ट्स को ग्लोबल बनाने में हमारे जम्मू-कश्मीर के लोग भी पीछे नहीं हैं. पिछले महीने जम्मू-कश्मीर ने जो कर दिखाया है, वो देशभर के लोगों के लिए एक मिसाल है. यहां के पुलवामा से Snow Peas की पहली खेप लंदन भेजी गई.
पीएम मोदी ने आगे कहा कि पिछले एक दशक में भारत में वन क्षेत्र का अभूतपूर्व विस्तार.हुआ. अमृत महोत्सव के दौरान देश भर में सात हजार से ज्यादा अमृत सरोवर भी बनाए गए. हमें ऐसे ही मां के नाम पर पेड़ लगाने के अभियान को गति देनी है.
देश के अलग-अलग हिस्सों में मॉनसून तेजी से अपना रंग बिखेर रहा है. सबके घर में जिस चीज की खोज शुरू हो गई है उसका नाम है छाता. छाते हमारे केरल में तैयार होते हैं, यहां की संस्कृति में अहम महत्व है. लेकिन मैं मैं जिस छाते की बात कर रहा हूं, वो है कार्थुम्बी छाता है, जो केरल के . अट्टापडी में तैयार किया जाता है. ये रंग-बिरंगे छातों की खासियत है कि इनको आदिवासी बहनें तैयार करती हैं. आज देश भर में इन छातों की मांग बढ़ रही है. वट्टालक्की सहकारी कृषि सोसायटी के नेतृत्व में बनाया जाता है.