फुलेरा दूज, जो कि भगवान कृष्ण की पूजा में समर्पित है, उत्तर भारत में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। यह त्योहार फाल्गुन मास की शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है। इस वर्ष, फुलेरा दूज का त्योहार 12 मार्च, 2024 को है।
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मथुरा : फुलेरा दूज, वह चमकदार त्योहार जो श्री राधा-कृष्ण के अनन्य प्रेम को समर्पित है, ब्रज मंडल में एक अद्भुत उत्सव के रूप में मनाया जाता है। इस दिन, वृंदावन का प्रसिद्ध बांके बिहारी मंदिर फूलों और रंगों से सजा होता है, जैसे स्वयं स्वर्ग से अप्सराएँ उतर आई हों। फाल्गुन के महीने में, जब प्रकृति भी अपने पूरे यौवन पर होती है, भक्तगण श्री राधा-कृष्ण की पूजा अर्चना में लीन हो जाते हैं।
इस वर्ष, फुलेरा दूज का त्योहार 12 मार्च 2024 को मनाया गया, जिसमें भक्तों ने श्री राधा-कृष्ण की विधि-विधान से पूजा की। इस अवसर पर, मथुरा में फूलों की होली खेली गई, जिसमें सभी ने एक दूसरे पर फूलों की वर्षा की। यह त्योहार न केवल वैवाहिक जीवन में खुशियाँ लाने के लिए माना जाता है, बल्कि यह भी मान्यता है कि इस दिन श्री राधा-कृष्ण की पूजा से बिगड़े काम बनने लगते हैं
फुलेरा दूज का त्योहार ब्रज की गलियों में एक नई जीवंतता ले आता है, जहाँ भक्ति के गीत हर कोने से गूँज उठते हैं और लोग आनंद और उल्लास के साथ नृत्य करते हैं। यह त्योहार न सिर्फ भारतीय संस्कृति की गहराई को दर्शाता है, बल्कि यह भी बताता है कि कैसे प्रेम और भक्ति के माध्यम से जीवन में सकारात्मकता और उत्साह भरा जा सकता है। फुलेरा दूज के इस पावन पर्व पर, आइए हम सभी श्री राधा-कृष्ण के दिव्य प्रेम को याद करें और उनके आशीर्वाद से अपने जीवन को खुशियों से भर दें।
महत्व
फुलेरा दूज, जिसे फुलोरिया दोज भी कहा जाता है, भारतीय त्योहारों का एक अनूठा पर्व है जो फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है1। इस दिन, भक्त भगवान श्रीकृष्ण और राधा रानी की पूजा अर्चना करते हैं और उन्हें रंग-बिरंगे फूलों से सजाते हैं। यह पर्व विशेष रूप से वृंदावन और मथुरा में बड़े ही उत्साह और भक्ति के साथ मनाया जाता है, जहां भगवान कृष्ण के विशेष दर्शन भी होते हैं
फुलेरा दूज की कथा के अनुसार, एक बार भगवान कृष्ण ने राधा रानी पर फूल बरसाकर होली खेली थी, जिससे यह पर्व फूलों की होली के रूप में प्रसिद्ध हुआ। इस दिन को ‘अबूझ मुहूर्त’ के रूप में भी जाना जाता है, जिसका अर्थ है कि इस दिन किसी भी शुभ कार्य को बिना किसी विशेष मुहूर्त के किया जा सकता है। इसलिए इस दिन विवाह जैसे मांगलिक कार्य भी किए जाते हैं।
फुलेरा दूज का महत्व यह है कि इस दिन की गई पूजा से वैवाहिक जीवन में प्रेम और सौहार्द बढ़ता है, और यह कुंवारी लड़कियों के लिए सुयोग्य जीवनसाथी प्राप्ति की कामना का दिन भी माना जाता है। इस दिन राधा रानी को श्रृंगार की वस्तुएं अर्पित करने की परंपरा है, और ऐसा माना जाता है कि इससे जल्दी विवाह की संभावना बढ़ती है। यह पर्व न केवल धार्मिक महत्व रखता है बल्कि यह सामाजिक सौहार्द और प्रेम का प्रतीक भी है।
फुलेरा दूज की कथा
पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान श्री कृष्ण अधिकतर अपने कार्यों में व्यस्त होने के कारण कई दिनों से वह राधा जी से मिलने नहीं आ पा रहे थे. ऐसे में राधा रानी बहुत दुखी और उनसे नाराज भी हो गईं. गोपियां भी मायूस थी. राधा जी की उदासी पर प्रकृति पर भी विपरित प्रभाव पड़ने लगा था. वन में फूल सूखने और मुरझाने लगे. प्रकृति का नजारा देखकर श्रीकृष्ण को राधा जी की हालत का अंदाजा लग गया.इसके बाद राधा रानी का दुख और नाराजगी को दूर करने के लिए श्रीकृष्ण उनसे मिलने के लिए बरसाना गए. श्रीकृष्ण और राधा रानी के मिलन पर प्रकृति खिलखिला उठी, लताओं, फूलों में फिर से जान आ गई. चारों ओर हरियाली छा गई. गोपियां प्रसन्न होकर झूम उठीं. भगवान श्रीकृष्ण ने एक फूल तोड़ा और राधा रानी के ऊपर फेंक दिया. इसके बाद राधा रानी ने भी श्रीकृष्ण पर फूल तोड़कर फेंक दिया. इसके बाद गोपियों ने भी एक दूसरे पर फूल फेंकने शुरू कर दिए. इस प्रकार फूलों से होली मनाने की परंपरा शुरू हो गई. कहते हैं जिस दिन ये सुंदर घटना हुई उस दिन फाल्गुन मास की शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि थी, तभी से इस दिन को फुलेरा दूज के तौर पर मनाया जाता है.
फुलेरा दूज की पूजा विधि इस प्रकार है:
- ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नानादि से निवृत्त होकर साफ वस्त्र धारण करें।
- एक चौकी पर राधा-कृष्ण की प्रतिमाएं स्थापित करें।
- उन्हें सुगंधित फूलों, अबीर-गुलाल से सजाएं और सुगंध अर्पित करें।
- प्रसाद में सफेद मिठाई, पंचामृत और मिश्री चढ़ाएं।
- मधुराष्टक या राधा कृपा कटाक्ष का पाठ करें या राधेकृष्ण का जाप करें।
- श्रृंगार की वस्तुओं का दान करें और प्रसाद ग्रहण करें।
पूजा के दौरान रंगीन और साफ कपड़े पहनना चाहिए। प्रेम के लिए पूजा करते समय गुलाबी कपड़े और वैवाहिक जीवन के लिए पूजा करते समय पीले कपड़े पहनने की मान्यता है। पूजा के बाद सात्विक भोजन करें और झूठ, क्रोध या किसी का अपमान न करें।
इस वर्ष फुलेरा दूज का शुभ मुहूर्त 12 मार्च को सुबह 9.32 बजे से दोपहर 2.00 बजे तक है1। इस दिन श्री राधा-कृष्ण की पूजा करने से वैवाहिक जीवन में खुशहाली और प्रेम संबंधों में मजबूती आती है।