
देहरादून/नैनीताल: उत्तर प्रदेश में बर्ड फ्लू से एक बाघिन की मौत की खबर ने पड़ोसी राज्य उत्तराखंड में वन्यजीवों की सुरक्षा को लेकर गंभीर चिंताएं पैदा कर दी हैं। इसके मद्देनजर, उत्तराखंड वन विभाग ने नैनीताल और देहरादून चिड़ियाघर सहित विश्व प्रसिद्ध जिम कॉर्बेट और राजाजी टाइगर नेशनल पार्क को हाई अलर्ट पर रखा है। वन्यजीवों को इस संभावित खतरे से बचाने के लिए एहतियातन कई कड़े कदम उठाए गए हैं और वन विभाग के कर्मचारियों को विशेष निर्देश जारी किए गए हैं।
उत्तराखंड, जो कॉर्बेट और राजाजी टाइगर रिजर्व के अलावा कई वन्यजीव अभ्यारण्यों का घर है, बाघों, तेंदुओं और हाथियों की एक महत्वपूर्ण आबादी का संरक्षण करता है। राज्य में 500 से अधिक बाघ, 2000 से ज्यादा तेंदुए और 1500 से अधिक हाथी हैं। इनकी विशाल संख्या को देखते हुए, बर्ड फ्लू जैसे खतरे से इन्हें बचाना वन विभाग के लिए सर्वोच्च प्राथमिकता बन गया है।
केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण की एडवाइजरी और सख्त कदम
सेंट्रल जू अथॉरिटी ऑफ इंडिया (CZA) ने भी स्थिति की गंभीरता को समझते हुए उत्तराखंड वन विभाग को ईमेल के माध्यम से संपर्क किया है और बर्ड फ्लू से बचाव व रोकथाम के उपायों को लेकर एक विस्तृत गाइडलाइन जारी की है।
उत्तराखंड के चीफ वाइल्डलाइफ वार्डन, श्री रंजन मिश्रा ने पुष्टि की है कि CZA द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का कड़ाई से पालन किया जा रहा है। उन्होंने बताया, “सभी संबंधित अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि यदि जंगल में कोई पक्षी मृत पाया जाता है, तो उसकी सूचना तुरंत जिम्मेदार अधिकारी को दी जाए ताकि उसका परीक्षण कर मौत के वास्तविक कारणों का पता लगाया जा सके।” उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि नैनीताल और देहरादून चिड़ियाघरों के अलावा, राज्य में कई रेस्क्यू सेंटर भी हैं जहाँ बाघों और तेंदुओं को रखा गया है, और इन सभी स्थानों पर बीमारी के संभावित खतरों से निपटने के लिए स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं।
चिड़ियाघरों और रेस्क्यू सेंटरों में विशेष उपाय:
- आहार में बदलाव: सबसे महत्वपूर्ण बदलाव मांसाहारी जानवरों के आहार में किया गया है। बाघों, तेंदुओं और अन्य मांसाहारी जानवरों को अब चिकन नहीं परोसा जाएगा; इसकी जगह उन्हें अन्य प्रकार का मांस दिया जा रहा है। देहरादून चिड़ियाघर के डॉक्टर प्रदीप मिश्रा के अनुसार, यह प्रतिबंध सांप, अजगर, मगरमच्छ और घड़ियाल जैसे सरीसृपों पर भी लागू होगा।
- कीटाणुशोधन: नैनीताल और देहरादून के चिड़ियाघरों में नियमित रूप से, विशेषकर सुबह और शाम, दवाइयों का छिड़काव किया जा रहा है।
- कर्मचारियों के लिए सुरक्षा: चिड़ियाघरों और रेस्क्यू सेंटरों में काम करने वाले कर्मचारियों को पीपीई (व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण) किट पहनकर ही जानवरों के बाड़ों के पास जाने के निर्देश दिए गए हैं।
- घायल पक्षियों पर रोक: देहरादून जू, जो एक रेस्क्यू सेंटर भी है, ने स्पष्ट किया है कि फिलहाल किसी भी घायल पक्षी को इलाज के लिए सेंटर में नहीं लिया जाएगा।
ये सभी कदम यह सुनिश्चित करने के लिए उठाए जा रहे हैं कि उत्तराखंड के बहुमूल्य वन्यजीव बर्ड फ्लू के किसी भी संभावित प्रकोप से सुरक्षित रहें।