
रुद्रप्रयाग: उत्तराखंड में लगातार हो रही भारी बारिश के कारण जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। पवित्र मदमहेश्वर धाम को जोड़ने वाला अस्थायी लकड़ी का पुल मधु गंगा नदी के उफान में बह गया है, जिससे यातायात पूरी तरह से ठप हो गया है।फिलहाल, श्रद्धालुओं और स्थानीय लोगों को नदी पार करने के लिए एक ट्रॉली का इस्तेमाल करना पड़ रहा है, जो काफी जोखिम भरा है।
पुल टूटने से बढ़ी मुश्किलें
गौंडार गांव के पास मधु गंगा नदी पर बना यह अस्थायी पुल मदमहेश्वर धाम तक पहुंचने का एकमात्र जरिया था।मंगलवार शाम को नदी का जलस्तर बढ़ने से पुल क्षतिग्रस्त हो गया, जिसके बाद से ही इस मार्ग पर आवाजाही बंद कर दी गई है।जो तीर्थयात्री धाम से लौट रहे थे, उन्हें ट्रॉली के जरिए नदी पार कराई जा रही है।
लंबे समय से स्थायी पुल की मांग
मदमहेश्वर घाटी के निवासी और तीर्थयात्री लंबे समय से मधु गंगा पर एक स्थायी पुल बनाने की मांग कर रहे हैं। हर साल बरसात के मौसम में अस्थायी पुल के क्षतिग्रस्त हो जाने से उन्हें भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। पूर्व जिला पंचायत सदस्य विनोद राणा ने बताया कि अस्थायी पुल के टूटने से दूरदराज के इलाकों में आवश्यक सामग्री पहुंचाना भी मुश्किल हो गया है।उन्होंने कहा कि ट्रॉली से आवागमन करना बेहद खतरनाक है और कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है।
प्रशासन का आश्वासन
जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी नंदन सिंह रजवार ने बताया कि मधु गंगा के उफान के कारण अस्थायी पुल क्षतिग्रस्त हुआ है और आवाजाही रोक दी गई है। उन्होंने कहा कि स्थिति सामान्य होने पर अस्थायी पुल की मरम्मत की जाएगी।
पहले भी हो चुकी हैं घटनाएं
गौरतलब है कि पिछले साल भी भारी बारिश और भूस्खलन के कारण मारकंडा नदी पर बना एक अस्थायी लकड़ी का पुल बह गया था, जिससे मदमहेश्वर मंदिर की यात्रा बाधित हो गई थी और लगभग 50 तीर्थयात्री और स्थानीय लोग फंस गए थे।उस समय भी फंसे हुए लोगों को निकालने के लिए हेलीकॉप्टर की मदद लेनी पड़ी थी।
लगातार हो रही इन घटनाओं के बावजूद स्थायी पुल का निर्माण न होना, शासन-प्रशासन की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े करता है। स्थानीय लोगों और तीर्थयात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए इस समस्या का स्थायी समाधान निकालना अत्यंत आवश्यक है।