
देहरादून: भगवान शिव को समर्पित पवित्र सावन का महीना अब अपने अंतिम पड़ाव पर है। इस वर्ष सावन का आखिरी सोमवार 4 अगस्त को पड़ रहा है, जिसका महत्व और भी अधिक बढ़ जाता है।मान्यता है कि सावन के सोमवार को भगवान शिव की पूजा-अर्चना करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और घर में सुख-शांति का वास होता है।यदि आप किसी कारणवश पिछले सोमवारों में पूजा नहीं कर पाएं हैं, तो अंतिम सोमवार को विशेष पूजन कर महादेव का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं।
शास्त्रों के अनुसार, सावन का अंतिम सोमवार बेहद शक्तिशाली माना जाता है क्योंकि यह पूरे माह की भक्ति का समापन होता है। इस दिन सच्ची श्रद्धा से की गई पूजा से कर्मों के बंधन कटते हैं और आत्मा की शुद्धि होती है।इस साल का आखिरी सोमवार और भी खास है क्योंकि इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग के साथ ब्रह्म और इंद्र योग का दुर्लभ संयोग बन रहा है, जो पूजा और मनोकामना पूर्ति के लिए अत्यंत शुभ है।
अंतिम सोमवार पर शिवलिंग पर अर्पित करें ये 5 वस्तुएं:
- गंगाजल: भगवान शिव को गंगा अत्यंत प्रिय है। शिवलिंग पर गंगाजल से अभिषेक करना सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। इससे नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और मन को शांति मिलती है।
- बेलपत्र: बेलपत्र के बिना भगवान शिव की पूजा अधूरी मानी जाती है। अंतिम सोमवार को 108 बेलपत्रों पर सफेद चंदन से “ॐ” लिखकर शिवलिंग पर अर्पित करने से असाध्य रोगों से मुक्ति मिलती है और ग्रह दोष शांत होते हैं। ध्यान रहे कि बेलपत्र कटे-फटे नहीं होने चाहिए।
- धतूरा: धतूरा भगवान शिव को विशेष रूप से प्रिय है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान जब भगवान शिव ने विषपान किया था, तब उसके प्रभाव को शांत करने के लिए धतूरे का प्रयोग किया गया था। इसे चढ़ाने से शत्रुओं का भय समाप्त होता है।
- पंचामृत: दूध, दही, घी, शहद और शक्कर से बना पंचामृत शिवलिंग पर अर्पित करना अत्यंत शुभ फलदायी होता है। इससे जीवन में सुख-समृद्धि आती है और वैवाहिक जीवन में मधुरता बनी रहती है।
- शमी के पत्ते: शनि देव के प्रकोप को शांत करने के लिए और भगवान शिव की कृपा पाने के लिए शिवलिंग पर शमी के पत्ते चढ़ाना एक अचूक उपाय माना जाता है। इससे मोक्ष की प्राप्ति होती है।
पूजा विधि और शुभ मुहूर्त
सावन के आखिरी सोमवार के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण कर व्रत का संकल्प लें। इसके बाद शिव मंदिर जाकर या घर पर ही शिवलिंग का अभिषेक करें।जलाभिषेक के लिए ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 04:20 से 05:02 बजे तक) को सबसे उत्तम माना गया है। इसके अतिरिक्त अभिजीत मुहूर्त और अमृत काल में भी पूजा की जा सकती है।पूजा के दौरान “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का निरंतर जाप करें और शिव चालीसा का पाठ करें। अंत में भगवान शिव की आरती कर अपनी मनोकामना पूर्ति के लिए प्रार्थना करें।