अब लोग उन्हें बेसहारा या निराश्रित या असहाय कहेंगे,
अधिशासी अधिकारी शांति प्रसाद जोशी की अभिनव पहल, नगर पालिका तैयार कर रही SOP
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सुनीत द्विवेदी, पौड़ी। पौड़ी नगर पालिका में सड़कों पर घूमने वाली गायों को अब ‘आवारा’ नहीं कहा जाएगा। अब लोग उन्हें बेसहारा या निराश्रित या असहाय कहेंगे।
इसे लेकर नगर पालिका पौड़ी के अधिशासी अधिकारी शांति प्रसाद जोशी ने अभिनव पहल की है। उनकी अगुवाई में नगर पालिका SOP तैयार कर रही है।
उत्तराखंड में पौड़ी पहली ऐसी नगर पालिका होगी। जहां सड़कों पर घूमने वाली गायों और गोवंश के लिए ‘आवारा’ शब्द का इस्तेमाल रोक लगने वाली है। इसके स्थान पर अब इन्हें ‘बेसहारा’ या ‘असहाय’ या निराश्रित जैसे शब्दों से संबोधित किया जाएगा।
अधिशासी अधिकारी जोशी के अनुसार इसे लेकर SOP बन रही है। जिसे जल्द ही लागू किया जाएगा। उनका मानना है कि ‘आवारा’ शब्द अपमानजनक है। गायों के सम्मान में इसे बदला जाना चाहिए।
उनके मुताबिक गायों को ‘आवारा’ कहना अनुचित है, और ‘बेसहारा’ जैसे शब्द का प्रयोग इन्हें अधिक सम्मानजनक बनाता है।
भारतीय संस्कृति में गाय को विशेष महत्व प्राप्त है। गौ माता को आर्थिक समृद्धि, कृषि, आयुर्वेद और पर्यावरण संरक्षण का आधार माना गया है।

2 गौशाला मौजूद, तीसरे का निर्माण जारी
अधिशासी अधिकारी शांति प्रसाद जोशी ने बताया कि मौजूदा समय में पालिका के पास 35-35 गायों की कैपेसिटी के दो छोटी गौशाला है। जबकि तीसरी गौशाला का निर्माण कार्य गतिमान है।
तेज तर्रार अधिकारियों में गिने जाते हैं जोशी
नगर पालिका पौड़ी के अधिशासी अधिकारी शांति प्रसाद जोशी की गिनती तेज तर्रार अधिकारियों में होती है। यहां आने से पहले वह देहरादून नगर निगम में बतौर सहायक नगर आयुक्त अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन कर रहे थे। उनके व्यवहार और कार्यकाल की तारीफ अब भी लोग करते हैं।