
अयोध्या : श्रीलंका में एक भव्य सीता अम्मा मंदिर का निर्माण जोरों पर है, जिसकी प्राण प्रतिष्ठा 19 मई को होनी निर्धारित है। इस अनुष्ठान के लिए श्रीलंका ने भारत से अयोध्या की पवित्र सरयू नदी का जल मंगाने का अनुरोध किया है। इस पहल के माध्यम से दोनों देशों के बीच के सांस्कृतिक और आध्यात्मिक संबंधों को और भी मजबूती प्रदान की जाएगी।
मंदिर ट्रस्ट के अनुसार, इस आयोजन से दोनों देशों के दिलों को एकजुट करने की उम्मीद है। श्रीलंका में सीता अम्मा मंदिर का निर्माण और प्राण प्रतिष्ठा का उद्देश्य दोनों देशों के दिलों को एकजुट करना है। इस ऐतिहासिक घटना के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने पर्यटन विभाग को जल भेजने की जिम्मेदारी सौंपी है।
इस अवसर पर श्रीलंकाई राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे और प्रधानमंत्री दिनेश गुणवर्धने के साथ-साथ आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर भी मौजूद रहेंगे। यह समारोह नुवारा एलिया की पहाड़ियों में स्थित सीता अम्मन मंदिर में होगा, जिसे रामायण में वर्णित अशोक वाटिका के स्थान के रूप में माना जाता है।
श्रीलंका में सीता अम्मा मंदिरके बारे में

“सीता अम्मा मंदिर” श्रीलंका के नुवारा एलिया की पहाड़ियों में स्थित है. यह मंदिर माता सीता को समर्पित है और इसका धार्मिक महत्व बहुत अधिक है1. यह माना जाता है कि यही वह स्थान है जहां रावण ने माता सीता को बंदी बनाकर रखा था. इसके अलावा, यहां पर भगवान हनुमान की उपस्थिति के साक्ष्य आज भी मौजूद हैं.
माता सीता की नई मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा का समारोह 19 मई को होने वाला है. इसके लिए, अयोध्या की पवित्र सरयू नदी का जल श्रीलंका भेजा जाएगा. इस पवित्र जल को इकट्ठा करने के लिए मंदिर प्रशासन का एक प्रतिनिधिमंडल 15 मई के बाद भारत आएगा.
इस समारोह में श्रीलंकाई राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे और प्रधानमंत्री दिनेश गुणवर्धने भी मौजूद रहेंगे. आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे.
यह मान्यता है कि हनुमान की उपस्थिति के साक्ष्य सीता अम्मा मंदिर के पीछे चट्टानों में खुदे हुए हैं, जहां उनके पैरों के निशान दिखाई देते हैं. इसके अतिरिक्त सीता एलिया से होकर बहने वाली सीता नदी के एक किनारे की मिट्टी पीली है, जबकि दूसरे किनारे की मिट्टी काली है. इसे हनुमान की यात्रा के दौरान हुई घटनाओं से जोड़ा जाता है.
सीता अम्मा मंदिर” के प्राण प्रतिष्ठा समारोह के बारे में निम्नलिखित जानकारी है:
- यह समारोह 19 मई को होने वाला है.
- इस समारोह में श्रीलंकाई राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे और प्रधानमंत्री दिनेश गुणवर्धने भी मौजूद रहेंगे.
- आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे.
- उत्तर प्रदेश सरकार ने पर्यटन विभाग को जल भेजने की जिम्मेदारी सौंपी है.
- इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम के लिए 21 लीटर सरयू का जल उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी श्री अयोध्या जी तीर्थ विकास परिषद को सौंपी गई है.
- इस समारोह का उद्देश्य दोनों देशों के दिलों को एकजुट करना है.
यह समारोह श्रीलंका में नुवारा एलिया की पहाड़ियों में स्थित “सीता अम्मा मंदिर” के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है.