
नई दिल्ली: विवादित आईएएस ट्रेनी का तबादला केंद्र सरकार ने भी शुरू कराईं जांच निजी ऑडी पर लगाई थी लाल बत्ती, दिव्यांग कोटे से भर्ती पर नहीं कराया मेडिकल, क्रीमी लेयर के बावजद ओबीसी का लाभ पुणे। निजी ऑडी कार पर लाल बत्ती लगाकर घूमने के बाद सुर्रखियों में आईं ट्रेनी आईएएस पूजा खंड़कर का महाराष्ट्र सरकार ने तबादला कर दिया है। उन्हं पुणे से हटाकर अब वाशिम जिले का सहायक कलेक्टर नियुक्त किया गया है। महाराष्ट्र सरकार ने यह फैसला पुणे के कलेक्टर डॉ. सुहास 17 करोड़ की संपत्ति की मालकिन दिवसे की तरफ से मुख्य सचिव को भेजे गए एक शिकायती पत्र के बाद लिया है। पूजा कै पिता भी प्रशासनिक अधिकारी रह चुके हैं और पिछले दिनों लोकसभा चुनाव में भी असल में पूजा खेड़कर न केबल अपनी खड़े हुए थे। चुनावी हलफनामे कै.मुताबिक, निजी कार पर लाल बत्ती लगाकर धूम रही थीं, उनके पिता के पास करीब 40 करोड़ की संपत्ति बल्कि प्रशासन से उन सभी सुविधाओं और है, वहं खुद पूजा के पास 17 करोड़ से ज्यादा विशेपाधिकारों की मांग कर रही थों, जो एक प्रिक्ु की संत्तिहै। निथमों के मुताविक इतनी संपति अधिकारी के लिए देय नहीं होती हैं। उन पर दि्यांग होने के साथ वे ओबीसी आरक्ण के लाभ की कोटे में भर्ती के बावजूद मेडिकल न कराने और हकदार नहीं हैं। क्योंकि, जिनक परिवारों की सालाना आय 8 लाख रुपये से ज्यादा की होती क्रीमी लेयर बाद भी ओबीसी का लाभ लेने के ओबीसी आरक्षण नहीं ले सकते हैं। पूजा आरोप हं, जिनकी जांच के लिए केंद्र सरकार ने भी के पिंता और दादा भी सरकारी अधिकारी रहै हैं। एक सदस्यी पैनल गठित किया है। अतिरिक्त सचिव मामले की जांच करंे और दो सप्ताह में रिपोर्ट दंगे। की मांग की थी। जबकि, नियमों के मुताबिक केबिन-सरकारी आवास और चपरासी प्रशिक्षु अधिकारियों को ये सुविधाएं नहीं दी जाती की थी मांग : पूजा के कईं वीडियो सोशल हैं। इसके अलावा पूजा खेड़कर अतिरिक्त जिला मीडिया पर वायरल हैं, जिनमें वह वीआईपी नंबर कलेक्टर अजय मोरे बाहर की अनुपस्थिति में वाली निजी ऑडी कार पर लाल बत्ती का उनके कक्ष पर कब्जा कर लिया और अपने नाम इस्तेमाल करती दिख रही हैं। उनकी कार पर का प्लेट लगवा दी। पूजा ओबीसी और दिव्यांग महाराष्ट्र शासन की तख्ती भी लगी है। इसके कोटे का लाभ लेकर सं लोक सेवा आयोग की अलावा खेड़कर ने जिला प्रशासन से वीआईपी सिविल सेवा परीक्षा में 841वीं रँंक के साथ नंबर प्लेट वाली आधिकारिक कार, आवास, आईएएस बनी हैं। लेकिन, उन्होंने यूपीएससी की पर्याप्त कर्मचारियों वाला एक आधिकारिक कक्ष तरफ से दिव्यांगता की पुष्टि के लिए की जाने वाले और सुरक्षा के लिए एक कांस्टेबल नियुक्त करने चिकित्सा जांच में भी भाग नहीं लिया है।