
देहरादून: उत्तर प्रदेश के इटावा में केदारनाथ धाम की प्रतिकृति के तौर पर एक मंदिर के निर्माण को लेकर उत्तराखंड के तीर्थ पुरोहितों ने कड़ा विरोध जताया है। उन्होंने इसे करोड़ों हिंदुओं की आस्था का अपमान बताते हुए निर्माण कार्य तत्काल रोकने की मांग की है। ऐसा न होने पर बड़े पैमाने पर आंदोलन की चेतावनी दी गई है।
यह विवाद तब गहराया जब समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने श्रावण के पहले सोमवार को इटावा स्थित ‘केदारेश्वर’ मंदिर का एक वीडियो सोशल मीडिया पर साझा किया।यह मंदिर दिखने में हूबहू केदारनाथ जैसा है, जिससे केदारनाथ धाम के तीर्थ पुरोहितों में भारी आक्रोश है।
चारधाम तीर्थ पुरोहित हकहकूकधारी महापंचायत ने इस मामले में मोर्चा खोल दिया है। महापंचायत के पदाधिकारियों का कहना है कि केदारनाथ धाम केवल एक मंदिर नहीं, बल्कि करोड़ों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है और इसका ऐतिहासिक महत्व है।किसी अन्य स्थान पर उसी स्वरूप और नाम से मंदिर का निर्माण धार्मिक परंपराओं का उल्लंघन है।
तीर्थ पुरोहितों ने आरोप लगाया है कि इटावा में बन रहा केदारेश्वर मंदिर, केदारनाथ मंदिर की पूरी प्रतिकृति है, जिसमें नाम, संरचना और स्वरूप लगभग एक जैसा है।उन्होंने इसे उत्तराखंड के स्थानीय लोगों की आस्था, परंपरा और सम्मान का मखौल उड़ाना बताया है।
इस मामले में तीर्थ पुरोहितों ने समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव के खिलाफ भी नाराजगी जाहिर की है।चेतावनी दी गई है कि यदि मंदिर का निर्माण नहीं रुका तो तीर्थ पुरोहित समाज अखिलेश यादव के आवास के बाहर धरना-प्रदर्शन करने को बाध्य होगा।
गौरतलब है कि इससे पहले दिल्ली में भी केदारनाथ धाम के नाम से एक मंदिर बनाने का प्रयास किया गया था, जिसका तीर्थ पुरोहितों ने कड़ा विरोध किया था, जिसके बाद निर्माण कार्य रोकना पड़ा था।
उधर, श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति (बीकेटीसी) ने भी इस मामले का संज्ञान लिया है। बीकेटीसी के अध्यक्ष हेमंत द्विवेदी का कहना है कि मामले की जांच की जाएगी और विधिक राय लेकर उचित कार्रवाई की जाएगी।तीर्थ पुरोहितों ने उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार से भी मांग की है कि इटावा में बने मंदिर का नाम और स्वरूप तुरंत बदला जाए।उन्होंने चेतावनी दी है कि अगर उनकी मांगें पूरी नहीं हुईं तो वे देशव्यापी आंदोलन करेंगे।