
देहरादून: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शुक्रवार को दून विश्वविद्यालय में भारतीय सामाजिक विज्ञान संस्थान संघ (आईएएसएसआई) के 24वें अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का दीप प्रज्ज्वलित कर शुभारंभ किया। इस तीन दिवसीय सम्मेलन में देशभर से आए प्रतिष्ठित सामाजिक वैज्ञानिक, शोधकर्ता और नीति निर्माता उत्तराखंड जैसे हिमालयी राज्यों के लिए सतत विकास की नई राहों पर मंथन करेंगे।
सतत विकास और सामाजिक न्याय पर राज्य सरकार का संकल्प
मुख्यमंत्री धामी ने अपने उद्घाटन भाषण में कहा कि सामाजिक विज्ञान के शोध को नीति निर्माण से जोड़ना आज की सबसे बड़ी आवश्यकता है, ताकि विकास की योजनाएं धरातल पर और अधिक प्रभावी साबित हो सकें। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास’ के मूलमंत्र का उल्लेख करते हुए कहा कि केंद्र और राज्य सरकार सामाजिक न्याय और सतत विकास के लिए प्रतिबद्ध हैं।
मुख्यमंत्री ने इस बात पर प्रकाश डाला कि उत्तराखंड सरकार 2030 तक सतत विकास के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए संकल्पित है। उन्होंने कहा कि राज्य में आर्थिक, सामाजिक और पर्यावरणीय स्थिरता बनाए रखते हुए एक सुरक्षित और न्यायपूर्ण व्यवस्था सुनिश्चित की जा रही है। धामी ने बताया कि इकोनॉमी और इकोलॉजी में संतुलन साधने के लिए सरकार ने त्रि-स्तरीय और नौ-सूत्रीय नीति लागू की है। नीति आयोग द्वारा सतत विकास लक्ष्यों की प्राप्ति में उत्तराखंड को देश में प्रथम स्थान पर रखे जाने का भी उन्होंने उल्लेख किया।
इन महत्वपूर्ण विषयों पर होगा चिंतन
सम्मेलन के दौरान विशेषज्ञ जलवायु परिवर्तन, आजीविका सुरक्षा, शहरीकरण, हरित विकास के मार्ग और अपशिष्ट प्रबंधन जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर गहन विचार-विमर्श करेंगे। दून विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर सुरेखा डंगवाल ने अपने स्वागत भाषण में कहा कि यह सम्मेलन उत्तराखंड जैसे पहाड़ी राज्यों के लिए सतत विकास की दिशा में नए विचारों के आदान-प्रदान का एक महत्वपूर्ण अवसर प्रदान करेगा।
सम्मेलन में नीति आयोग के सदस्य प्रोफेसर रमेश चंद, आईएएसएसआई के अध्यक्ष और नालंदा विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर सचिन चतुर्वेदी समेत कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे। सम्मेलन का समापन सत्र 12 अक्टूबर को राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) गुरमीत सिंह की अध्यक्षता में होगा।