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उत्तराखंड: उत्तराखंड पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड (यूपीसीएल) को लाइन हानियों के चलते वित्तीय संकट का सामना करना पड़ रहा है। बिजली वितरण में आ रही इन हानियों की वजह से कंपनी पर 1201 करोड़ रुपये का बकाया हो गया है, जिससे उसकी राष्ट्रीय स्तर पर रेटिंग में गिरावट आई है। इससे न केवल यूपीसीएल की वित्तीय स्थिरता पर प्रभाव पड़ा है, बल्कि राज्य के विकास पर भी असर पड़ सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि इस समस्या का समाधान खोजने के लिए तत्काल उपाय किए जाने चाहिए।
यूपीसीएल के एमडी अनिल कुमार का कहना है कि यह पैसा मिलते ही निश्चित तौर पर अगले साल रेटिंग सुधर जाएगी। केंद्रीय विद्युत और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह ने हाल में डिस्कॉम की इंटिग्रेटेड रेटिंग जारी की थी। उत्तराखंड का ऊर्जा निगम इस बार इसमें पिछड़ गया है। पिछले साल देश की 51 ऊर्जा वितरण कंपनियों में यूपीसीएल को ए-ग्रेड के साथ 12वां स्थान मिला था।
यूपीसीएल की रेटिंग में आई इस गिरावट के लिए दो मुख्य कारण निम्नलिखित हैं:
- लाइन हानियां: पिछले वर्ष के 14.1% से बढ़कर इस वर्ष 15.3% हो गई हैं।
- एसीएस-एआरआर गैप: पिछले वर्ष के -0.49% से बढ़कर इस वर्ष 0.74% हो गया है।
इन कारणों के चलते, यूपीसीएल की रेटिंग गिरकर बी-माइनस ग्रेड पर आ गई है और यह देश की 53 विद्युत वितरण कंपनियों में 30वें स्थान पर पहुंच गया है।
डिस्कॉम की एकीकृत रेटिंग में इस बार उत्तराखंड का ऊर्जा निगम (यूपीसीएल) पिछड़ गया है। पिछले साल जहां यूपीसीएल को ए-ग्रेड के साथ 12वां स्थान प्राप्त हुआ था, वहीं इस बार उसकी रेटिंग गिरकर बी-माइनस ग्रेड पर आ गई है और वह 30वें स्थान पर पहुंच गया है। इस गिरावट का मुख्य कारण लाइन हानियों में वृद्धि और एसीएस-एआरआर गैप में बढ़ोतरी बताई गई है। यूपीसीएल के एमडी अनिल कुमार के अनुसार, बकाया राशि की प्राप्ति होते ही अगले साल रेटिंग में सुधार होने की संभावना है।
8843 करोड़ राजस्व प्राप्ति के बावजूद 1224 करोड़ का नुकसान
यूपीसीएल, ने इस वर्ष 1656 करोड़ यूनिट बिजली की खरीद की और 1383 करोड़ यूनिट बिजली की बिक्री कर 8843 करोड़ रुपये की राजस्व प्राप्ति की। हालांकि, बाजार से महंगी बिजली खरीदने के कारण, जिसकी भरपाई के लिए 1201 करोड़ रुपये सरकार या उपभोक्ताओं से प्राप्त होने थे, वह नहीं मिल पाए। इसके परिणामस्वरूप, टैक्स जमा करने के बाद कंपनी को 1224 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।
इस बीच, डिस्कॉम की एकीकृत परफॉर्मेंस रेटिंग के 12वें संस्करण में, 11 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के बिजली विभागों को रेटिंग दी गई है। इनमें केरल का त्रिशूर कॉर्पोरेशन बिजली विभाग (टीसीईडी) ए-रेटिंग के साथ शीर्ष पर उभरा है, जबकि नई दिल्ली नगरपालिका परिषद का बिजली विभाग बी रेटिंग के साथ दूसरे स्थान पर है। पुडुचेरी, गोवा, और नागालैंड के बिजली विभाग क्रमशः तीसरे, चौथे और पांचवें स्थान पर हैं। इस रेटिंग में किसी भी बिजली विभाग को न तो ए-प्लस की उच्चतम रेटिंग मिली है और न ही डी स्तर की सबसे निम्न रेटिंग।
यूपीसीएल के वित्तीय संकट और डिस्कॉम की रेटिंग में इस उतार-चढ़ाव का विश्लेषण करते हुए, ऊर्जा विशेषज्ञों का कहना है कि बिजली वितरण क्षेत्र में सुधार और दक्षता बढ़ाने के लिए और अधिक प्रयासों की आवश्यकता है।
वित्तीय स्थायित्व में गिरे अंक
उत्तराखंड पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड (यूपीसीएल) ने राष्ट्रीय स्तर पर अपनी रेटिंग में गिरावट देखी है। बेस रेटिंग मानकों में यूपीसीएल को 100 में से 49.9 अंक प्राप्त हुए हैं, जबकि इंटिग्रेटेड स्कोर में 100 में से 46.7 अंक हासिल किए हैं। फाइनेंशियल सस्टेनेबिलिटी श्रेणी में यूपीसीएल को 75 में से 32.9 अंक मिले हैं। परफॉर्मेंस एक्सीलेंस में 13 में से 8.4 अंक और एक्ट्रनल एनवायरमेंट में 12 में से 8.6 अंक प्राप्त किए हैं।
इस गिरावट के पीछे मुख्य रूप से दो कारण बताए गए हैं: लाइन हानियां पिछले साल के 14.1% से बढ़कर वित्तीय वर्ष 2023 में 15.3% पर पहुंच गई हैं, और एसीएस-एआरआर गैप पिछले साल के -0.49% से बढ़कर 0.74% हो गया है। यूपीसीएल की रेटिंग पहली बार 12वें स्थान से खिसककर 30वें पर पहुंच गई है, और निगम को पहली बार बी-माइनस ग्रेड मिला है।
पिछले चार वर्षों में यूपीसीएल की रेटिंग
वर्ष रैंक ग्रेड
2021 बी प्लस
2022 17 बी
2023 12 ए
2024 30 बी माइनस
एसीएस-एआरआर गैप की वजह से हमारी रेटिंग में कमी आई है। 1201 करोड़ रुपये की वसूली होने के बाद अगले साल रेटिंग बढ़ जाएगी। हम सभी पहलुओं पर सकारात्मक दिशा में काम कर रहे हैं। -अनिल कुमार, एमडी, यूपीसीएल