
देहरादून: उत्तराखंड में अब भ्रष्टाचारियों की खैर नहीं होगी। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाते हुए विजिलेंस (सतर्कता विभाग) को कार्रवाई के लिए खुली छूट दे दी है। सरकार के इस सख्त रुख का असर अब धरातल पर भी दिखने लगा है, जहां पिछले कुछ सालों में कई बड़े अधिकारियों समेत 200 से अधिक लोगों को भ्रष्टाचार के मामलों में जेल भेजा जा चुका है।
मुख्यमंत्री धामी ने स्पष्ट किया है कि भ्रष्टाचार एक ऐसा अभिशाप है जो विकास में बाधा डालता है और लोगों को उनके अधिकारों से वंचित करता है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘न खाऊंगा, न खाने दूंगा’ के नारे से प्रेरणा लेते हुए राज्य को भ्रष्टाचार मुक्त बनाने का संकल्प लिया है। सरकार की इस मुहिम में छोटे-बड़े किसी भी भ्रष्टाचारी को बख्शा नहीं जा रहा है, चाहे वो आईएएस, पीसीएस या आईएफएस अधिकारी ही क्यों न हो।
बड़े अधिकारियों पर भी गिरी गाज
धामी सरकार की कार्रवाई का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि हाल ही में हरिद्वार भूमि घोटाले में दो आईएएस और एक पीसीएस अधिकारी समेत 12 अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया। इसके अलावा, पेयजल निगम के एक चीफ इंजीनियर को भी नौकरी के नाम पर लाखों की रिश्वत मांगने के आरोप में निलंबित किया गया है।
विजिलेंस विभाग ने पिछले साढ़े चार सालों में 82 ट्रैप में 94 लोगों को गिरफ्तार किया है, जिनमें 13 राजपत्रित अधिकारी भी शामिल हैं। कुछ प्रमुख मामलों में नैनीताल में एक चीफ ट्रेजरर और अकाउंटेंट को 1.20 लाख रुपये की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ पकड़ा गया, वहीं काशीपुर में एक रोडवेज के सहायक महाप्रबंधक को 90 हजार रुपये की घूस लेते हुए गिरफ्तार किया गया।
भर्ती परीक्षाओं में पारदर्शिता के लिए सख्त कानून
भर्ती परीक्षाओं में होने वाली धांधली को रोकने के लिए उत्तराखंड सरकार ने देश का सबसे सख्त नकल विरोधी कानून लागू किया है। इस कानून के तहत, नकल कराने वाले माफियाओं के लिए आजीवन कारावास और 10 करोड़ रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान है। इस कानून के लागू होने के बाद 100 से अधिक “नकल माफियाओं” को जेल भेजा गया है और पिछले साढ़े तीन सालों में 24,000 सरकारी नियुक्तियां बिना किसी विवाद के हुई हैं।
जनता की भागीदारी और तकनीकी का उपयोग
सरकार ने भ्रष्टाचार के खिलाफ इस लड़ाई में जनता की भागीदारी को भी महत्वपूर्ण माना है। इसके लिए “1064 एंटी-करप्शन मोबाइल ऐप” और सीएम हेल्पलाइन 1905 जैसी सुविधाएं शुरू की गई हैं, जिनके माध्यम से नागरिक सीधे शिकायत दर्ज करा सकते हैं। इन प्लेटफॉर्म्स पर मिली शिकायतों पर तुरंत कार्रवाई की जा रही है।
सरकार के इन प्रयासों को सामाजिक और धार्मिक संगठनों का भी समर्थन मिल रहा है, जिन्होंने मुख्यमंत्री धामी को उनके इस अभियान के लिए सम्मानित भी किया है। मुख्यमंत्री का कहना है कि यह सम्मान उनका नहीं, बल्कि उत्तराखंड की सवा करोड़ जनता का है जो ईमानदारी और पारदर्शिता के साथ खड़ी है।