
देहरादून: उत्तरकाशी के धराली और हर्षिल में आई विनाशकारी आपदा के बाद उत्तराखंड सरकार ने भविष्य की त्रासदियों को रोकने के लिए अपनी रणनीति में एक बड़ा बदलाव किया है। अब राहत और बचाव कार्यों के साथ-साथ आपदा से पहले की तैयारियों और पूर्वानुमान प्रणालियों को मजबूत करने पर विशेष ध्यान केंद्रित किया जाएगा। इसी कड़ी में सचिव आईटी एवं शहरी विकास नितेश झा ने एक उच्चस्तरीय वैज्ञानिक समिति का गठन किया है, जो आपदा पूर्व प्रबंधन का एक मजबूत ढांचा तैयार करने के लिए काम करेगी।
यह निर्णय धराली और हर्षिल में हुई तबाही के बाद लिया गया है, जहां अचानक आई बाढ़ और भूस्खलन ने बड़े पैमाने पर नुकसान पहुंचाया और बचाव कार्यों में भारी चुनौतियों का सामना करना पड़ा।
क्या करेगी वैज्ञानिकों की समिति?
उत्तराखंड अंतरिक्ष उपयोग केंद्र (USAC) के महानिदेशक प्रोफेसर दुर्गेश पंत की अध्यक्षता में गठित यह समिति एक सप्ताह के भीतर सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंपेगी।[2] इस समिति में भारतीय सुदूर संवेदन संस्थान (IIRS-ISRO), वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान, मौसम विज्ञान विभाग और आईआईटी रुड़की जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों के वैज्ञानिकों को शामिल किया गया है।
समिति के मुख्य कार्य इस प्रकार हैं:
- आपदा पूर्वानुमान तंत्र को मजबूत करना: समिति आपदाओं, विशेष रूप से बादल फटने, भूस्खलन और हिमनद झीलों के फटने (GLOF) की घटनाओं के लिए एक अधिक सटीक और प्रभावी प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली विकसित करने पर ध्यान केंद्रित करेगी।
- ग्लेशियर झीलों की निगरानी: सैटेलाइट और ड्रोन जैसी आधुनिक तकनीकों का उपयोग करके हिमालयी क्षेत्रों में बनने वाली संवेदनशील ग्लेशियर झीलों की निरंतर निगरानी के लिए एक तंत्र स्थापित किया जाएगा, ताकि उनके खतरों का समय पर आकलन किया जा सके।
- आपदा के दौरान संचार व्यवस्था: धराली में संचार तंत्र के ध्वस्त होने से बचाव कार्यों में आई बाधा से सबक लेते हुए, समिति ऐसे वैकल्पिक और मजबूत संचार नेटवर्क विकसित करने के लिए सुझाव देगी जो आपदा के समय भी काम करते रहें।
- ड्रोन तकनीक का उपयोग: आपदा से पहले चेतावनी और आपदा के बाद राहत-बचाव कार्यों में ड्रोन तकनीक के प्रभावी उपयोग पर भी यह समिति अपनी सिफारिशें देगी।
सभी वैज्ञानिक संस्थान मिलकर करेंगे काम
सचिव नितेश झा ने बताया कि प्रदेश में आपदा पूर्व बचाव और प्रबंधन के लिए राज्य और केंद्र के सभी प्रमुख वैज्ञानिक संस्थान मिलकर काम करेंगे। इसरो, वाडिया और राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) जैसे संस्थानों को इस पहल से जोड़ा जा रहा है ताकि उनके विशेषज्ञ ज्ञान का लाभ उठाकर राज्य के लिए एक व्यापक और मजबूत आपदा प्रबंधन नीति तैयार की जा सके। इस पहल के परिणाम आने वाले समय में राज्य की आपदाओं से निपटने की क्षमता में दिखाई देंगे।