
देहरादून: देश में आपातकाल लागू होने की 50वीं वर्षगांठ के अवसर पर उत्तराखंड सरकार 25 जून को एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन कर रही है। इस अवसर पर, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी उन लोकतंत्र सेनानियों को सम्मानित करेंगे, जिन्हें आपातकाल के दौरान मीसा (MISA) और डीआईआर (DIR) के तहत बंदी बनाया गया था। यह सम्मान समारोह मुख्यमंत्री आवास पर आयोजित एक राज्य-स्तरीय संवाद कार्यक्रम के रूप में होगा।
मुख्य बिंदु:
- कार्यक्रम का उद्देश्य: आपातकाल के दौरान लोकतंत्र की रक्षा के लिए संघर्ष करने वाले सेनानियों के योगदान को याद करना और सम्मानित करना।
- सम्मानित होने वाले: मीसा और डीआईआर के तहत बंदी बनाए गए राज्य के लोकतंत्र सेनानी और दिवंगत सेनानियों के पति या पत्नी।
- आयोजन स्थल: मुख्यमंत्री आवास, देहरादून।
- व्यापक आयोजन: मुख्य कार्यक्रम के अलावा, राज्य के सभी जिलों में भी जन-भागीदारी वाले कार्यक्रम और 50 स्थानों पर आपातकाल पर आधारित प्रदर्शनियां आयोजित की जाएंगी।
यह कार्यक्रम न केवल लोकतंत्र सेनानियों के बलिदान को श्रद्धांजलि देगा, बल्कि युवा पीढ़ी को लोकतंत्र के मूल्यों और उसके महत्व से भी परिचित कराएगा। आपातकाल, जो 25 जून 1975 से 21 मार्च 1977 तक चला, को भारतीय लोकतंत्र के सबसे चुनौतीपूर्ण दौरों में से एक माना जाता है।
मुख्यमंत्री धामी ने पहले भी लोकतंत्र सेनानियों के सम्मान में कई कदम उठाए हैं। उन्होंने लोकतंत्र सेनानियों का मानदेय 16,000 रुपये से बढ़ाकर 20,000 रुपये किया है और उनके आश्रितों के लिए पेंशन योजना की भी घोषणा की है।
इस राज्य-स्तरीय संवाद कार्यक्रम के लिए संबंधित जिलाधिकारियों के माध्यम से लोकतंत्र सेनानियों और उनके परिवारों को सम्मानपूर्वक आमंत्रित किया गया है। यह आयोजन केंद्र सरकार के उन निर्देशों का हिस्सा है, जिसके तहत देश भर में आपातकाल की 50वीं वर्षगांठ पर विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं।