देहरादून: उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के ‘ऑपरेशन कालनेमि’ ने न केवल देवभूमि में हलचल मचा दी है, बल्कि इसकी गूंज पूरे देश में सुनाई दे रही है। सोशल मीडिया पर यह अभियान टॉप ट्रेंड में शामिल हो गया है और देशभर से लोग इस साहसिक कार्रवाई के लिए मुख्यमंत्री धामी की सराहना कर रहे हैं। इस ऑपरेशन का मुख्य उद्देश्य धर्म की आड़ में भोले-भाले लोगों की आस्था से खिलवाड़ करने वाले ढोंगी बाबाओं और असामाजिक तत्वों पर नकेल कसना है।
‘ऑपरेशन कालनेमि’ की शुरुआत मुख्यमंत्री धामी के उस निर्देश के बाद हुई, जिसमें उन्होंने पुलिस को साधु-संतों के वेश में छिपे उन लोगों की पहचान करने और उन्हें गिरफ्तार करने का आदेश दिया, जो धार्मिक स्थलों पर धोखाधड़ी और अनैतिक गतिविधियों में लिप्त हैं। इस अभियान का नाम पौराणिक कथा के उस राक्षस ‘कालनेमि’ के नाम पर रखा गया है, जिसने संत का वेश धरकर भगवान हनुमान को धोखा देने का प्रयास किया था।
इस अभियान के तहत उत्तराखंड पुलिस ने ताबड़तोड़ कार्रवाई करते हुए अब तक 100 से अधिक फर्जी बाबाओं और साधुओं को गिरफ्तार किया है। देहरादून, हरिद्वार और उधम सिंह नगर जैसे जिलों में बड़े पैमाने पर गिरफ्तारियां हुई हैं। चिंताजनक बात यह है कि पकड़े गए लोगों में से कई दूसरे राज्यों के निवासी हैं और कुछ के आपराधिक रिकॉर्ड भी हैं। यहां तक कि एक बांग्लादेशी नागरिक को भी साधु के वेश में पकड़ा गया है।
यह कार्रवाई ऐसे समय में हो रही है जब उत्तराखंड में चार धाम यात्रा और कांवड़ यात्रा चल रही है, जिसमें लाखों श्रद्धालु आते हैं। सरकार का मानना है कि ये ढोंगी बाबा इन यात्राओं के दौरान श्रद्धालुओं को निशाना बनाते हैं और उनकी भावनाओं का शोषण करते हैं।
‘ऑपरेशन कालनेमि’ को न केवल सत्ता पक्ष बल्कि विपक्षी दलों और विभिन्न धार्मिक संगठनों से भी अभूतपूर्व समर्थन मिला है। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने इस कदम का स्वागत करते हुए कहा है कि इससे सनातन धर्म की पवित्रता की रक्षा होगी। विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं ने भी इस पहल की प्रशंसा करते हुए कहा है कि धर्म के नाम पर होने वाली धोखाधड़ी पर रोक लगनी चाहिए।
सोशल मीडिया पर यूजर्स मुख्यमंत्री धामी को ‘धर्मरक्षक’ की उपाधि दे रहे हैं और इस अभियान को अन्य राज्यों में भी चलाने की मांग कर रहे हैं। इससे पहले भी सीएम धामी धर्मांतरण और अन्य संबंधित मुद्दों पर सख्त कार्रवाई कर अपनी एक अलग छवि बना चुके हैं। ‘ऑपरेशन कालनेमि’ ने इस छवि को और भी मजबूत किया है और यह संदेश दिया है कि देवभूमि की शांति और पवित्रता से खिलवाड़ करने वालों को किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा।
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