
रुद्रपुर, उत्तराखंड। केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने शनिवार को कहा कि छोटे राज्यों के विकास के बिना ‘विकसित भारत’ का सपना साकार नहीं हो सकता।उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने का जो लक्ष्य है, उसे उत्तराखंड जैसे राज्यों के विकास के बिना हासिल नहीं किया जा सकता।
शाह रुद्रपुर में आयोजित ‘उत्तराखंड निवेश उत्सव-2025’ को संबोधित कर रहे थे।इस कार्यक्रम का आयोजन दिसंबर 2023 में हुए ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के बाद प्रदेश में एक लाख करोड़ रुपये से अधिक के निवेश को सफलतापूर्वक धरातल पर उतारने के उपलक्ष्य में किया गया था।
अपने संबोधन में अमित शाह ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की सरकार की जमकर तारीफ की। उन्होंने कहा कि पहाड़ी राज्य में निवेश लाना पहाड़ चढ़ने जैसा मुश्किल काम है, लेकिन धामी सरकार ने यह कर दिखाया है।शाह ने दिसंबर 2023 के ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट को याद करते हुए कहा कि उन्होंने तब मुख्यमंत्री से कहा था कि एमओयू पर हस्ताक्षर करना एक बात है और उन्हें हकीकत में बदलना असली चुनौती होगी।उन्होंने खुशी जताई कि धामी की टीम ने एक लाख करोड़ के निवेश को धरातल पर उतारकर यह कर दिखाया है, जिससे 81,000 से अधिक प्रत्यक्ष रोजगार के अवसर पैदा हुए हैं।
गृह मंत्री ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को याद करते हुए कहा कि उन्होंने उत्तराखंड, झारखंड और छत्तीसगढ़ जैसे छोटे राज्यों का निर्माण किया था और अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इन राज्यों को संवारने का काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार छोटे राज्यों के साथ-साथ पूर्वोत्तर के राज्यों के विकास पर भी विशेष ध्यान दे रही है।
शाह ने कहा, “जब तक हमारे छोटे राज्य प्रगति नहीं करते, देश में एक समान विकास नहीं हो सकता।”उन्होंने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि केंद्र सरकार ने उत्तराखंड को हर संभव सहायता प्रदान की है। उन्होंने बताया कि 2014 से 2024 के बीच मोदी सरकार ने उत्तराखंड को 1.86 लाख करोड़ रुपये दिए, जो 2004 से 2014 के दौरान यूपीए सरकार द्वारा दिए गए 53,000 करोड़ रुपये से कहीं अधिक है।
इस अवसर पर शाह ने 1271 करोड़ रुपये की विभिन्न विकास परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास भी किया।उन्होंने विश्वास जताया कि 2027 तक भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा।मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस मौके पर कहा कि यह आयोजन केवल एक आर्थिक मील का पत्थर नहीं है, बल्कि यह समावेशी विकास की एक व्यापक दृष्टि को दर्शाता है।