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वैशाख पूर्णिमा (बुद्ध पूर्णिमा) आज: जानें पुण्यकारी महत्व, संपूर्ण पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और चंद्र अर्घ्य का सही तरीका

आज, वैशाख मास की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि है, जिसे वैशाख पूर्णिमा और बुद्ध पूर्णिमा के रूप में बड़े ही श्रद्धाभाव से मनाया जा रहा है। यह दिन हिंदू एवं बौद्ध दोनों धर्मों के अनुयायियों के लिए विशेष महत्व रखता है। इस पावन तिथि पर पवित्र नदियों में स्नान, व्रत, पितरों के निमित्त तर्पण और दान-पुण्य करने का विधान है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इसी दिन भगवान गौतम बुद्ध का जन्म हुआ था, इसलिए इसे बुद्ध पूर्णिमा भी कहा जाता है। साथ ही, यह तिथि एक माह से चले आ रहे वैशाख स्नान और धार्मिक अनुष्ठानों की पूर्णाहुति का भी प्रतीक है।

आइए, विस्तार से जानते हैं वैशाख पूर्णिमा का महत्व, संपूर्ण पूजा विधि, आज के शुभ मुहूर्त और चंद्र अर्घ्य की प्रक्रिया के बारे में।

कब है वैशाख पूर्णिमा: पंडित विश्वनाथ शर्मा ने बताया कि हिंदू पंचांग के अनुसार वैशाख पूर्णिमा की शुरुआत 11 मई को रात के 8:01 से होगी जबकि इसका समापन 12 में को रात के 10:25 पर होगा. सनातन धर्म में प्रत्येक व्रत और त्योहार को उदया तिथि के साथ मनाया जाता है. इसलिए वैशाख पूर्णिमा को 12 मई के दिन मनाया जाएगा, जो जातक इस दिन पूर्णिमा का व्रत रखते हैं. वह चंद्र दर्शन करने के बाद अपना व्रत का पारण करते हैं. इसलिए इस दिन चंद्र उदय का समय शाम को 6:57 पर होगा.

वैशाख पूर्णिमा का अलौकिक महत्व

हिंदू धर्म में प्रत्येक पूर्णिमा तिथि अत्यंत शुभ मानी जाती है, किंतु वैशाख पूर्णिमा का स्थान सर्वोपरि है।

  • पाप नाशक: इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने, श्रद्धापूर्वक पूजा-पाठ करने और पितरों के नाम पर तर्पण व दान करने से जन्म-जन्मांतर के पाप नष्ट हो जाते हैं।
  • आरोग्य और सुख: विधि-विधान से भगवान श्रीहरि विष्णु और माता लक्ष्मी की उपासना करने से सभी प्रकार के रोगों और शोकों से मुक्ति मिलती है, तथा जीवन में भौतिक सुख-सुविधाओं की प्राप्ति होती है।
  • सत्यनारायण कथा का फल: वैशाख पूर्णिमा पर भगवान सत्यनारायण की कथा सुनना या पढ़ना विशेष फलदायी माना गया है। मान्यता है कि इससे भगवान विष्णु शीघ्र प्रसन्न होते हैं और साधक को मृत्यु के उपरांत बैकुंठ धाम में स्थान मिलता है।
  • मनोकामना पूर्ति: इस दिन भगवान विष्णु के साथ-साथ भगवान बुद्ध और चंद्रदेव का पूजन करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
  • दुर्भाग्य का नाश: वैशाख पूर्णिमा को सभी संकटों का हरण करने वाली और दुर्भाग्य को सौभाग्य में परिवर्तित करने वाली तिथि माना गया है।

आज वैशाख पूर्णिमा पर बन रहे हैं ये शुभ योग (Shubh Yog on Vaishakh Purnima)

आज वैशाख पूर्णिमा का महत्व कई शुभ योगों के बनने से और भी अधिक बढ़ गया है:

  • रवि योग: आज प्रातः 5 बजकर 33 मिनट से शुरू होकर सुबह 6 बजकर 17 मिनट तक रवि योग रहेगा, जो कार्यों में सफलता दिलाने वाला माना जाता है।
  • बुधादित्य योग और वरियन योग: पूरे दिन बुधादित्य योग और वरियन योग का भी शुभ प्रभाव बना रहेगा।
  • भद्रा का साया: आज भद्रा का साया भी रहेगा, जो सुबह 5 बजकर 33 मिनट से रात्रि 9 बजकर 14 मिनट तक है। हालांकि, ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, भद्रा आज पाताल लोक में निवास करेगी, इसलिए पृथ्वी पर इसका दुष्प्रभाव नहीं होगा और पूजा-पाठ के कार्यक्रम निर्विघ्न संपन्न किए जा सकते हैं।

वैशाख पूर्णिमा 2025: संपूर्ण पूजा विधि (Vaishakh Purnima Puja Vidhi)

  1. व्रत संकल्प: वैशाख पूर्णिमा के दिन प्रातःकाल ब्रह्म मुहूर्त में उठकर किसी पवित्र नदी, सरोवर या घर पर ही गंगाजल मिलाकर स्नान करें। इसके बाद स्वच्छ वस्त्र धारण कर व्रत का संकल्प लें।
  2. भगवान विष्णु की स्थापना: पूजा स्थान पर एक चौकी पर लाल या पीला वस्त्र बिछाकर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें।
  3. पूजन सामग्री अर्पण: भगवान विष्णु को पीले चंदन, अक्षत, पीले पुष्प, ऋतु फल, तुलसी दल, पंचामृत और नैवेद्य अर्पित करें। माता लक्ष्मी को श्रृंगार सामग्री और कमल का पुष्प अर्पित करना शुभ होता है।
  4. कथा पाठ: शुद्ध घी का दीपक प्रज्वलित करें और धूप दिखाएं। इसके बाद विष्णु सहस्रनाम, विष्णु चालीसा और भगवान सत्यनारायण की कथा का भक्तिपूर्वक पाठ करें या सुनें।
  5. आरती और जागरण: सायंकाल पुनः भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की आरती करें। संभव हो तो रात्रि में भजन-कीर्तन करते हुए जागरण करें।

चंद्रमा को इस प्रकार दें अर्घ्य (Chandra Arghya Vidhi)

वैशाख पूर्णिमा की रात्रि में भगवान विष्णु की पूजा के उपरांत चंद्रमा को अर्घ्य देने की भी महत्वपूर्ण परंपरा है। ऐसा करने से कुंडली में चंद्रमा की स्थिति मजबूत होती है, मानसिक शांति मिलती है और जीवन में शीतलता आती है।

  • चंद्रोदय का समय: आज शाम 6 बजकर 57 मिनट पर चंद्रोदय होगा।
  • अर्घ्य की सामग्री: एक तांबे या चांदी के लोटे में शुद्ध जल भरें। उसमें थोड़ा कच्चा दूध, सफेद पुष्प, अक्षत (चावल) और मिश्री मिला लें।
  • अर्घ्य देने का मंत्र: चंद्रोदय के बाद चंद्रमा की ओर मुख करके खड़े हो जाएं और ‘ॐ सों सोमाय नमः’ या ‘ॐ श्रां श्रीं श्रौं सः चंद्रमसे नमः’ मंत्र का जप करते हुए चंद्रमा को धीरे-धीरे अर्घ्य दें।

वैशाख पूर्णिमा पर क्या करें दान? (Daan on Vaishakh Purnima)

वैशाख पूर्णिमा के दिन दान का विशेष महत्व बताया गया है। अपनी सामर्थ्य अनुसार निम्नलिखित वस्तुओं का दान करना पुण्यकारी होता है:

  • जल (पानी का मटका या प्याऊ लगवाना)
  • अन्न (गेहूं, चावल)
  • फल (मौसमी फल)
  • चीनी, गुड़
  • सत्तू
  • वस्त्र
  • पंखा, छाता
  • नमक

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, वैशाख पूर्णिमा पर किया गया दान व्यक्ति के जन्म-जन्मांतर के पापों का शमन करता है और अकाल मृत्यु के भय से भी मुक्ति दिलाता है।

यह वैशाख पूर्णिमा आपके जीवन में सुख, शांति और समृद्धि लेकर आए, ऐसी कामना है!

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