
नई दिल्ली: सावन माह का इतिहास समुद्र मंथन से जुड़ा है। जब समुद्र मंथन के दौरान हलाहल विष बाहर आया था, तब भगवान शिव ने ही उसे पिया था। विष से महादेव का शरीर तपने लगा था। तब माता पार्वती ने शिव शंकर के कंठ पर हाथ रख उस विष को उनके शरीर में जानें से रोका था और पहली बार शिव जी को जल चढ़ाया था। जिस समय यह घटना घटित हुई थी तब सावन का महीना चल रहा था और तभी से सावन में शिवलिंग का जलाभिषेक करने की परंपरा शुरू हुई। माता पार्वती के बाद भगवान विष्णु और ब्रह्म देव समेत सभी देवी-देवताओं ने भी भगवान शिव का जल और दूध से भव्य अभिषेक किया था। मान्यता है कि समुद्र मंथन की घटना के बाद जब पहला सोमवार आया तब माता पार्वती ने ही पहली बार सोमवार व्रत रखा और शिव पूजन किया।