
देहरादून: उत्तराखंड के हरिद्वार और चमोली जिलों में विधानसभा उपचुनाव के लिए आचार संहिता लागू कर दी गई है। चुनाव आयोग ने उपचुनाव की तिथियों का भी ऐलान किया है, जिसके अनुसार मतदान जल्द ही होने वाला है।
इस उपचुनाव के लिए आचार संहिता का पालन सख्ती से किया जाएगा, और इसके तहत राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों को निर्धारित दिशा-निर्देशों का पालन करना होगा। आचार संहिता के नियमों के अनुसार, सरकारी संसाधनों का उपयोग चुनाव प्रचार के लिए नहीं किया जा सकता, और चुनावी रैलियों और भाषणों में भी कुछ प्रतिबंध होंगे।
उपचुनाव के दौरान निष्पक्षता और शांति बनाए रखने के लिए चुनाव आयोग ने विशेष उपाय किए हैं। इसमें मतदान केंद्रों पर सुरक्षा बढ़ाना, मतदाताओं को जागरूक करना, और चुनावी प्रक्रिया की निगरानी करना शामिल है।
उत्तराखंड के मतदाताओं के लिए यह उपचुनाव राज्य की राजनीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है। इसलिए, चुनाव आयोग और स्थानीय प्रशासन ने सभी आवश्यक कदम उठाए हैं ताकि चुनाव सुचारू रूप से संपन्न हो सकें।
उत्तराखंड में लोकसभा चुनाव की समाप्ति के बाद, हरिद्वार और चमोली जिलों में एक बार फिर आचार संहिता लागू होने जा रही है। चुनाव आयोग ने बदरीनाथ (चमोली) और मंगलौर (हरिद्वार) विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव की अधिसूचना जारी कर दी है।
बदरीनाथ से कांग्रेस के पूर्व विधायक राजेंद्र भंडारी ने लोकसभा चुनाव से ठीक पहले इस्तीफा दिया था और भाजपा में शामिल हो गए थे, जिसके कारण यह सीट खाली हो गई थी। वहीं, मंगलौर से बसपा के विधायक हाजी सरवत करीम अंसारी के निधन के बाद से यह सीट भी रिक्त है।
लोकसभा चुनाव के साथ इन सीटों पर उपचुनाव भी होने थे, लेकिन इससे संबंधित एक याचिका हाईकोर्ट में लंबित होने के कारण चुनाव आयोग ने तिथि जारी नहीं की थी। अब जब याचिका का निस्तारण हो गया है, आयोग ने उपचुनाव की तिथियां जारी कर दी हैं।
उपचुनाव के लिए निम्नलिखित तिथियां निर्धारित की गई हैं:
- अधिसूचना जारी: 14 जून
- नामांकन की अंतिम तिथि: 21 जून
- नामांकनों की जांच: 24 जून
- नाम वापसी की अंतिम तिथि: 26 जून
- मतदान: 10 जुलाई
- मतगणना: 13 जुलाई
आचार संहिता जनपद चमोली और जनपद हरिद्वार में 15 जुलाई तक प्रभावी रहेगी। इस दौरान, चुनाव आयोग ने निष्पक्षता और शांति बनाए रखने के लिए विशेष उपाय किए हैं। बदरीनाथ विधानसभा में 210 पोलिंग बूथ और मंगलौर विधानसभा में 132 पोलिंग बूथ बनाए जाएंगे।
उत्तराखंड के मतदाताओं के लिए यह उपचुनाव राज्य की राजनीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है, और इसके परिणाम आने वाले समय में राज्य की राजनीतिक दिशा को प्रभावित कर सकते हैं।