
देहरादून: उत्तराखंड में सैकड़ों राज्य आंदोलनकारियों को पिछले 10 महीने से पेंशन नहीं मिली है, जिससे वे तहसील और डीएम कार्यालय के चक्कर लगा रहे हैं। शासन का कहना है कि 243 राज्य आंदोलनकारी डबल पेंशन ले रहे थे, जबकि अन्य की पेंशन किस वजह से रुकी है, इसकी जांच की जा रही है।
समय पर पेंशन न मिलने से आंदोलनकारी नाराज हैं। शांति विहार कौलागढ़ निवासी किशन सिंह मेहता ने बताया कि वह सक्रिय राज्य आंदोलनकारी रहे हैं, लेकिन उन्हें अक्तूबर 2023 से पेंशन नहीं मिली। आईडीपीएल ऋषिकेश निवासी लक्ष्मी कठैत और राम सिंह कठैत ने भी पेंशन रोके जाने पर नाराजगी जताई है।
पेंशन रोका जाना गलत
वरिष्ठ नागरिक और बीमार होने के बावजूद किसी ने उनकी सुध नहीं ली। आईडीपीएल ऋषिकेश निवासी लक्ष्मी कठैत और राम सिंह कठैत बताते हैं कि पेंशन रोके जाने को लेकर कुछ भी स्पष्ट नहीं बताया जा रहा है। उन्हें हर बार तहसील से यह कहकर लौटाया जा रहा है कि जल्द पेंशन मिल जाएगी।
डबल पेंशन बताकर पेंशन रोका जाना गलत
उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी परिषद के पूर्व अध्यक्ष रविंद्र जुगरान के मुताबिक, कई आंदोलनकारी आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, भोजन माता और पूर्व सैनिक हैं। जो बहुत कम पेंशन पाते हैं, उनकी डबल पेंशन बताते हुए पेंशन रोका जाना गलत है। हालांकि कुछ के जीवित प्रमाणपत्र न देने एवं कुछ की अन्य तकनीकी वजह से पेंशन रुकी हो सकती है। राज्य में 11420 चिन्हित राज्य आंदोलनकारी हैं।
इतने राज्य आंदोलनकारियों को इस श्रेणी की मिलती है पेंशन
सामान्य श्रेणी में 7176 राज्य आंदोलनकारियों, सात दिन जेल गए एवं घायल 342 आंदोलनकारियों को एवं शैय्या ग्रस्त तीन राज्य आंदोलनकारियों को पेंशन मिलती है।
4500 से लेकर 20 हजार रुपये तक मिलती है पेंशन
सरकार की ओर से राज्य आंदोलनकारियों को हर महीने 4500 रुपये से लेकर 20 हजार रुपये तक पेंशन मिलती है। सामान्य श्रेणी के राज्य आंदोलनकारियों को हर महीने 4500 रुपये, 7 दिन जेल गए एवं घायल श्रेणी के आंदोलनकारियों को 6000 रुपये एवं शैय्या ग्रस्त राज्य आंदोलनकारियों को हर महीने 20 हजार रुपये पेंशन दी जाती है।
पेंशन के लिए पैसा काफी पहले रिलीज हो चुका है। इसके बाद भी जिन्हें पेंशन नहीं मिली इसकी जांच कराकर पात्र राज्य आंदोलनकारियों को जल्द पेंशन दी जाएगी। – शैलेश बगौली, गृह सचिव