UTTARAKHAND

प्लास्टिक के खिलाफ जागरुकता जरूरी

एसडीसी की ओर से जिज्ञासा 2.0 कार्यक्रम के तहत पॉलिमर के पर्यावरणीय खतरे पर जागरूकता कार्यक्रम आयोजित

देहरादून। सीएसआईआर-भारतीय पेट्रोलियम संस्थान, देहरादून में मंगलवार को “जिज्ञासा 2.0 कार्यक्रम” के तहत “पॉलिमर के पर्यावरणीय खतरे” पर सोशल डेवलपमेंट फॉर कम्युनिटीज (एसडीसी) फाउंडेशन के सहयोग से एक दिवसीय जागरूकता कार्यक्रम हुआ।

इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य छात्रों को अपशिष्ट प्लास्टिक के बारे में जागरूक करना तथा हम पुनः उपयोग एवं पुनःचक्रण द्वारा पर्यावरण पर इसके दुष्प्रभाव को किस प्रकार कम कर के अपने शहर को स्वच्छ रख सकते है, इसके बारे में अवगत करना था।

सीएसआईआर-आईआईपी के निदेशक डॉ. हरेन्द्र बिष्ट ने छात्रों को अपनी बातचीत के दौरान विभिन्न प्रकार के प्लास्टिक के बारे में जानकारी दी।

इस बात पर विशेष जोर दिया कि हमें उपयोग से पहले इस बात की जांच अवश्य कर लेनी चाहिए कि यह प्लास्टिक किस प्रकार का है। चूंकि, कुछ प्लास्टिक पुनर्चक्रण योग्य होते हैं तथा अपशिष्ट प्लास्टिक के पुन: उपयोग से अपशिष्ट एवं प्रदूषण मुक्त पर्यावरण का निर्माण होगा। उन्होंने छात्रों को अपशिष्ट प्लास्टिक को गैसोलीन, डीजल, पेट्रोल में बदलने के लिए सीएसआईआर-आईआईपी द्वारा विकसित तकनीकों के बारे में भी बताया । जिज्ञासा कार्यक्रम के बारे में बताते हुए डॉ. आरती ने छात्रों को सीएसआईआर-आईआईपी के उन्नत शोध कार्यों और प्रौद्योगिकियों से भी अवगत कराया। उन्होंने छात्रों से स्वच्छ एवं हरित पर्यावरण हेतु प्लास्टिक का विवेकपूर्ण उपयोग करने का भी आग्रह किया।

सोशल डेवलपमेंट फॉर कम्युनिटीज (एसडीसी) फाउंडेशन के संस्थापक डॉ. अनूप नौटियाल ने देहरादून शहर में उत्पन्न होने वाले अपशिष्ट प्लास्टिक, इसके संग्रह और इसकी पुनर्चक्रण क्षमता के बारे में चर्चा की। उन्होंने कहा कि इससे देहरादून शहर को एक स्वच्छ शहर बनाने में बहुत मदद मिलेगी।

सीएसआईआर-आईआईपी के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. उमेश कुमार ने विभिन्न प्रकार के पॉलिमर तथा पॉलिमर द्वारा विभिन्न प्रकार के प्लास्टिक निर्माण पर एक व्याख्यान दिया। इसके अतिरिक्त छात्रों ने अपशिष्ट प्लास्टिक से डीज़ल निर्माण संयंत्र तथा प्रयुक्त खाद्य तेल को सामान्य तापमान पर बायोडीजल में बदलने के प्रक्रम हेतु पायलट प्लांट एवं उन्नत कच्चे तेल अनुसंधान केंद्र का भी दौरा किया।

डॉ. अंकुर बोरदोलोई, प्रधान वैज्ञानिक, डॉ. कमल कुमार, वरिष्ठ तकनीकी अधिकारी; डॉ. ज्योति पोरवाल, वरिष्ठ तकनीकी अधिकारी, डॉ. रघुवीर सिंह, वरिष्ठ तकनीकी अधिकारी; डॉ. दीपेंद्र त्रिपाठी, वरिष्ठ तकनीकी अधिकारी, डॉ. प्रदीप त्यागी, वरिष्ठ तकनीकी अधिकारी, प्रदीप पुंडीर, श्री मुकुल शर्मा, संजय मौर्य, श्री गोकुल और अजय पॉल ने कार्यक्रम को सफल बनाने में भूमिका निभाई। कार्यक्रम का समन्वय डॉ आरती, प्रधान वैज्ञानिक सीएसआईआर – भारतीय पेट्रोलियम संस्थान, देहरादून ने किया।

इन स्कूलों के बच्चे रहे शामिल

महावीर जैन कन्या पाठशाला, तिलक रोड, जीआईसी खुडबूड़ा, श्री गुरु राम राय पब्लिक स्कूल, बिंदाल, सनातन धर्म कन्या इंटर कॉलेज, गीता भवन, मंगला देवी इंटर कॉलेज, ईसी रोड, सोफिया हाई स्कूल, नेशविला रोड, जीआईसी, राजकीय बालिका इंटर कॉलेज, राजपुर रोड, श्री गुरु राम राय, रेसकोर्स, श्री गुरुनानक दून वैली स्कूल, रेसकोर्स, अंबावती दून वैली इंटर कॉलेज, पंडितवाडी, भवानी बालिका इंटर कॉलेज, बल्लूपुर, माउंट फोर्ट अकादमी, इंद्र नगर, श्री गुरु राम राय, पटेल नगर।

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