नई दिल्ली: भारत और पाकिस्तान के बीच तनावपूर्ण संबंधों के बीच, सिंधु जल संधि (Indus Waters Treaty – IWT) को लेकर पाकिस्तान को विश्व बैंक से एक और बड़ा झटका लगा है। विश्व बैंक के अध्यक्ष अजय बंगा ने स्पष्ट किया है कि इस संधि में बैंक की भूमिका केवल एक “सुविधा-प्रदाता” (Facilitator) की रही है, न कि किसी मध्यस्थ की। यह बयान पाकिस्तान के लिए एक महत्वपूर्ण झटका माना जा रहा है, क्योंकि वह इस मुद्दे पर विश्व बैंक से मध्यस्थता की उम्मीद कर रहा था।
पहलगाम हमले के बाद भारत का कड़ा रुख
हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव अपने चरम पर है। इस हमले में 26 भारतीयों की जान चली गई थी, जिसके बाद भारत ने कथित तौर पर पाकिस्तान समर्थित आतंकवादी शिविरों के खिलाफ कार्रवाई की थी। इसके जवाब में पाकिस्तान द्वारा संभावित हमलों और भारत की जवाबी कार्रवाई की खबरें भी सामने आई हैं। इसी पृष्ठभूमि में, भारत ने 1960 की दशकों पुरानी सिंधु जल संधि को पहलगाम हमले के बाद अस्थायी रूप से निलंबित करने जैसा कड़ा कदम उठाया था।
विश्व बैंक अध्यक्ष अजय बंगा का निर्णायक बयान
पत्र सूचना कार्यालय (पीआईबी) द्वारा सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर विश्व बैंक के अध्यक्ष अजय बंगा के हवाले से कहा गया, “हमारी भूमिका केवल एक सुविधा-प्रदाता की है। मीडिया में इस बारे में बहुत अटकलें लगाई जा रही हैं कि विश्व बैंक किस तरह से इस समस्या को हल करेगा, लेकिन यह सब बेबुनियाद है। विश्व बैंक की भूमिका केवल एक सुविधा-प्रदाता की है।”
बंगा के इस बयान से यह स्पष्ट हो गया है कि पाकिस्तान अब सिंधु जल संधि से जुड़े किसी भी विवाद के समाधान के लिए विश्व बैंक से सक्रिय मध्यस्थता की उम्मीद नहीं कर सकता। इससे पाकिस्तान की इस मुद्दे को प्रमुख वैश्विक मंचों पर उठाने की रणनीति को भी धक्का लगेगा।
क्या है सिंधु जल संधि (1960)?
भारत और पाकिस्तान के बीच 19 सितंबर, 1960 को कराची में सिंधु जल संधि पर हस्ताक्षर हुए थे। विश्व बैंक ने इस संधि में मध्यस्थता की थी। इस संधि के तहत सिंधु नदी प्रणाली की नदियों के जल के वितरण और उपयोग को नियंत्रित किया जाता है।
स्वतंत्रता के समय, सिंधु बेसिन से गुजरती सीमा रेखा ने भारत को ऊपरी तटवर्ती (Upper Riparian) और पाकिस्तान को निचला तटवर्ती (Lower Riparian) देश बना दिया था, जिससे जल बंटवारा एक महत्वपूर्ण मुद्दा बन गया था। अजय बंगा के हालिया बयान ने संधि के कार्यान्वयन और विवाद समाधान तंत्र में विश्व बैंक की भूमिका पर एक महत्वपूर्ण स्पष्टीकरण प्रदान किया है, जिससे पाकिस्तान की कूटनीतिक स्थिति कमजोर हुई है।
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