उत्तराखंड में मौजूद कैंची धाम मंदिर की लोकप्रियता इतनी है कि यहां बाबा नीम करोली महाराज के दर्शन करने के लिए लोग देश-विदेश से आते हैं। बता दें, नीम करोली महाराज को कलयुग में भगवान हनुमान का अवतार माना जाता है। इस जगह पर हनुमान जी को समर्पित एक मंदिर भी है, वहीं परिसर में ही बाबा नीम करोली का भी मंदिर और प्रार्थना कक्ष बनाया गया है।
फेमस कैंची धाम आश्रम और मंदिर शिप्रा नदी के तट पर बना हुआ है। ये स्थान इतना फेमस है कि यहां एक समय मार्क जुकरबर्ग भी दर्शन करने के लिए आए थे।
उत्तराखंड के नैनीताल जिले में बसा कैंची धाम की आस्था ना केवल देश बल्कि विदेश में भी देखने को मिलती है। यहां के चमत्कार की कहानियों के मुरीद पीएम मोदी से लेकर मार्क जुकरबर्ग विराट कोहली और अनुष्का शर्मा जैसे कई बड़े लोग भी हैं।
आप भी जानिए आखिर ये मंदिर और आश्रम आखिर इतना लोकप्रिय क्यों है।
उत्तर प्रदेश के अकबरपुर गांव में हुआ था बाबा का जन्म –
उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद जिले के अकबरपुर गांव में ब्राह्मण परिवार में जन्मे लक्ष्मी नारायण शर्मा (उस दौरान नाम) ने उत्तर प्रदेश के ही एक गांव नीब करौरी में कठिन तपस्या से स्वयं सिद्धि हासिल की थी। माना जाता है कि बाबा जन्म से ही संत थे, जहां भी वो जाया करते थे हमेशा यज्ञ और भंडारा किया करते थे। उन्होंने आसपास कई हनुमान मंदिर भी स्थापित किए। निर्वाण से पहले उन्होंने दो आश्रम भी बनवाए, पहला आश्रम कैंची नैनीताल में है तो दूसरा वृन्दावन (मथुरा) में।
उत्तराखंड के नैनीताल जिले में बसा कैंची धाम की आस्था ना केवल देश बल्कि विदेश में भी देखने को मिलती है। यहां के चमत्कार की कहानियों के मुरीद पीएम मोदी से लेकर मार्क जुकरबर्ग विराट कोहली और अनुष्का शर्मा जैसे कई बड़े लोग भी हैं। लेकिन नीम करोली बाबा अपना प्रांगण में पधारे लोगों को कभी भी अपने पैर नहीं छूने देते हैं।
नीम करोली महाराज को लक्ष्मण दास, हांडी वाले बाबा और तिकोनिया वाले बाबा जैसे कई नामों से जाने जाते थे. उन्होंने गुजरात के ववानिया मोरबी में तपस्या की तो वहां लोग उन्हें तलईया बाबा के नाम से पुकारने लगे.
कैसे कहे जाने लगे बाबा नीम करोली
एक बार बाबा फर्स्ट क्लास कम्पार्टमेंट में सफर कर रहे थे. जब टिकट चेकर आया तो उनके पास टिकट नहीं था. तब उन्हें अगले स्टेशन ‘नीब करोली’ में ट्रेन से उतार दिया गया. बाबा थोड़ी दूर पर अपना चिपटा धरती में गाड़कर बैठ गए. गार्ड ने ट्रेन को हरी झंडी दिखाई लेकिन ट्रेन एक इंच भी आगे नहीं हिली. बाद में बाबा से माफी मांगने के बाद उन्हें ससम्मान ट्रेन में बिठाया गया. उनके बैठते ही ट्रेन चल पड़ी. तभी से बाबा का नाम नीम करोली पड़ गया.
भक्तों में स्टीव जॉब्स, मार्क जुकरबर्ग
बाबा के भक्तों में एप्पल कंपनी के संस्थापक स्टीव जॉब्स, फेसबुक के मालिक मार्क जुकरबर्ग, हॉलीवुड अभिनेत्री जूलिया रॉबर्ट्स तक भी शामिल हैं। कहा जाता हैं कि यहां आने वाले हर श्रद्धालु की मनोकामना पूर्ण होती हैं। एक समय एप्पल के संस्थापक स्टीव जॉब्स 1974 से 1976 के बीच आध्यात्मिक यात्रा के लिए भारत आए थे। जब वह कैंची धाम आश्रम पहुंचे तब बाबा समाधि ले चुके थे। कहते हैं कि एप्पल के Logo का आइडिया उन्हें बाबा के आश्रम से ही मिला था। कहा जाता है कि करौली बाबा को सेब बड़े पसंद थे, उस दौरान बड़े चाव से इस फल को खाया करते थे, इसी वजह से स्टीव ने अपनी कम्पनी के लोगो के लिए कटा हुआ एप्पल चुना।जब जुकरबर्ग भी फेसबुक के बेचने पर असमंजस में थे तब स्टीव जॉब्स ने उन्हें भारत की आध्यात्मिक यात्रा पर जाने की सलाह दी। अपने एक महीने के दौरे पर जुकेरबर्ग इस मंदिर में दो दिन रुके थे।
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